नहाय-खाय के साथ चैती छठ शुरू, खरना के प्रसाद से दूर होते हैं कष्ट, पारण 31 को

पटना। चैती छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के तहत व्रतियों ने नहाय-खाय का पूजन पूरे पवित्रता व निष्ठा के साथ संपन्न की। हालांकि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण इस बार व्रतियों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। नहाय-खाय के अवसर पर बाहर निकलना तथा इस दिन की मुख्य प्रथा गंगाजल से स्नान संभव नहीं था। लेकिन व्रतियों ने यह परंपरा घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर बहुत आस्था के साथ संपन्न की। कल छठ व्रती खरना (लोहंडा) की पूजा में खीर, रोटी, मौसमी फल का प्रसाद बनाकर इसे पूजा के बाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास की संकल्प लेंगी।
बता दें इस बार कोरोना के प्रकोप से सभी छठ व्रती संयम, सावधानी तथा निष्ठा के साथ इस महापर्व की पूरी तैयारी कर रही हैं। सूर्य को आरोग्य देवता के रूप में पूजा की जाती है तथा समस्त जगत के जीवन शक्ति के प्रदाता सूर्य को ही माना गया है। इस बार सभी छठ व्रती, श्रद्धालु सहित संपूर्ण देश की जनता भगवान भास्कर से प्रार्थना करेंगे कि वे हमें इस महामारी से होने वाली स्वास्थ्य की त्रासदी से बचा कर नया जीवन प्रदान करें।

36 घंटे के उपवास का व्रती लेंगे संकल्प
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि चैती छठ पर ग्रह-गोचरों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। कल रवियोग में पूरे दिन निर्जला उपवास के बाद व्रती संध्या में सूर्य की आराधना कर दूध, गुड़, अरवा चावल से बने प्रसाद को ग्रहण कर 36 घंटे का उपवास आरंभ करेंगी। भगवान भास्कर को सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में सायंकालीन अर्घ्य और मंगलवार 31 मार्च को द्विपुष्कर योग में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती संकल्पित अनुष्ठान संपन्न कर पारण करेंगी।
खरना से सप्तमी तक बरसती है षष्ठी मैया की कृपा
ज्योर्विद आचार्य रुपेश पाठक ने बताया कि छठ महापर्व शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार नहाय-खाय से छठ के पारण सप्तमी तिथि तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है, जो श्रद्धापूर्वक व्रत-उपासना करते है क प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता हैं।
खरना के प्रसाद से दूर होते हैं कष्ट
ब्रह्म कुमारी संस्थान की सदस्या ज्योतिषी पूनम सिंह के अनुसार छठ महापर्व के चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के अंतर्गत दूसरे दिन खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं। वहीं इसके प्रसाद से तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है। वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है।
सूर्यदेव को अर्घ्य देने से मिलेगी शांति व उन्नति
ज्योतिषी पूनम वैश्व के अनुसार डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक शांति और जीवन में उन्नति का वरदान मिलता है, साथ ही जल में रक्त चंदन, फूल के साथ अर्घ्य देने से यश की प्राप्ति होती है। प्रात: कालीन अर्घ्य में लाल चंदन, लाल फूल, इत्र के साथ ताम्रपत्र में अर्घ्य देने से आयु, विद्या, कीर्ति, यश और बल में वृद्धि होती है। भगवान भास्कर को दूध का अर्घ्य देने से महालक्ष्मी की प्राप्ति तथा जल या दूध में गुड़ मिलाकर अर्घ्य देने से पुत्र और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
खरना पूजा व अर्घ्य मुहूर्त
खरना का पूजा : संध्या 06: 06 बजे 07:42 बजे तक
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय : शाम 06:07 बजे तक
प्रात: कालीन सूर्य को अर्घ्य : सुबह 05:52 बजे के बाद दिया जायेगा

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