26 दिसंबर को लगेगा सदी का आखिरी सूर्य ग्रहण, चार राशियों के लिए है शुभ

पटना। कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने पंचांगों के हवाले से बताया कि आगामी 26 दिसम्बर दिन गुरुवार को सदी का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण पूरे भारतवर्ष में दिखाई देगा। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण की घटना अमावस्या के दिन ही घटित होती है। इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य आग से भरी अंगूठी के आकार (कंकणाकृति) का दिखाई देगा। इसे वैज्ञानिक भाषा में वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

सूर्य ग्रहण और सूतक काल समय

ज्योतिषी झा ने कहा कि सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण से 12 घंटे पहले 25 दिसंबर को शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरू हो जायेगा, जिसकी समाप्ति 26 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर होगी। सूतक काल में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। यह आंशिक सूर्य ग्रहण प्रातः 08:29 बजे से शुरू हो जायेगा और इसकी समाप्ति 11:23 बजे होगी। इस सूर्य ग्रहण का मध्य काल सुबह 09: 40 बजे होगी।

इस राशि व नक्षत्र में लग रहा सूर्य गहण

यह सूर्य ग्रहण गुरु की राशि धनु व मूल नक्षत्र में लग रहा है। मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। सूर्य ग्रह, धनु राशि और मूल नक्षत्र के बीच की सामंजस्यता में इन तीनों के मध्य अच्छी सामंजस्यता दिखाई दे रही है।

चार राशियों के लिए है शुभ

पंडित झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि इस ग्रहण का प्रभाव चार राशियों मेष, सिंह, कन्या व मकर पर शुभ माना जाएगा। वहीं कुंभ, तुला, मीन, धनु व मिथुन राशि पर मध्यम प्रभाव पड़ेगा। बाकियों के लिए अशुभ माना गया है। इस राशि के लोग ग्रहण के समय भगवन शिव की आराधना कर अनुकूल प्रभाव बना सकते है। सूर्य ग्रहण का गोचर के अनुसार अलग- अलग प्रभाव होता है। सूर्य ग्रहण परदान पुण्य करने से कई गुना अधिक फल मिलता है । ग्रहण काल में अपने इष्ट का जाप, वेद-पुराणों का पाठ, शिव स्तुति आदि करना विशेष पुण्यप्रद होता है।

इसे कहते हैं सूतक काल

पंडित झा ने बताया कि ग्रहण में लगने वाला सूतक एक अशुभ समय होता है। धार्मिक दृष्टि से यह अवधि किसी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं होता है। इसीलिए इस दौरान शुभ कार्यों को वर्जित किया जाता है। यह सूर्य ग्रहण लगने के चार पहर (एक पहर तीन घंटे के बराबर होता है) पहले से ही लग जाता है और ग्रहण के समाप्ति के साथ ही खत्म होता है। हालांकि सूतक काल वहीं प्रभावी होता है, जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

सूतक काल में ये होते वर्जित

सूतक काल में भोजन पकाना और खाना नहीं चाहिए। इस दौरान किसी भी नए कार्य को शुरु नहीं किया जाता है। इसके साथ ही मूर्ति पूजा और मूर्तियों का स्पर्श न करें, न ही तुलसी के पौधे का स्पर्श करें। गर्भवती महिलाओं को चाकू एवं छुरी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर होता है। सूर्य को नग्न आंखों से न देंखें।

ग्रहण के दौरान इनका रखें ध्यान

* ग्रहण का सूतक लग जाने से ग्रहण समाप्ति तक मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए।
* ग्रहण के दौरान न तो भोजन करना चाहिए और न ही बनाना चाहिए।
* ग्रहण के दौरान बच्चे, बुजुर्ग, रोगी फलाहार कर सकते हैं।
* ग्रहण से पहले दूध, दही, घी व अन्य खाद्य सामग्रियों पर कुश रखने से ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता।
* गर्भवती पेट अथवा नाभि पर गाय के गोबर या गेरू का पतला लेप लगाएं।
* ग्रहण अवधि में श्राद्ध, दान व जप करने से लाभ मिलता है।

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