‘हाथी-घोड़ा-पालकी, जय कन्हैया लाल की’ से सोमवार को गूंजेगा गली-मुहल्ला

  • जयंती योग में जन्माष्टमी आज, घर-घर विराजेंगे कान्हा

पटना। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव का पावन पर्व जन्माष्टमी कल भाद्र कृष्ण को अर्धरात्रि व्यापनी अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाया जायेगा। सोमवार मध्यरात्रि में लड्डू गोपाल भगवान के साथ माता देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा की भी पूजा-अर्चना प्रीतिपूर्वक किया जायेगा। अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र तथा दिन सोमवार तीनों का एक साथ मिलना अत्यंत दुर्लभ व अतीव पुण्यकारक है। संतान सुख, वैवाहिक सुख, प्रेम की प्रगाढ़ता, सुख-समृद्धि, शांति, उन्नति, आपसी सद्भावना की कामना से इस दिन बाल कृष्ण की पूजा उत्तम होगा।
महापुण्यप्रदायक जयंती योग में जन्माष्टमी
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि कल जन्माष्टमी वृष राशि के चंद्रमा की साक्षी में सर्व पापों को हरने वाली जयंती योग, कौकिल करण, वृष लग्न, रोहिणी नक्षत्र के साथ अतिपुण्यकारी सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी। गौतमी तंत्र नामक ग्रन्थ व पद्मपुराण के अनुसार कृष्णाष्टमी का पर्व सोमवार या बुधवार को पड़ने से यह दिवस जयंती योग माना जाता है और अत्यंत शुभ एवं पुण्यकारी होता है। इस योग में भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा एवं व्रत करने से तीन जन्म के पापों से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने बताया कि रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के साथ सूर्य और चन्द्रमा ग्रह उच्च राशि में है। ज्योतिष शास्त्र में रोहिणी को उदार, मधुर, मनमोहक और शुभ नक्षत्र माना जाता है। रोहिणी शब्द विकास, प्रगति का सूचक है। जिस प्रकार के योग में भगवान श्रीकृष्ण का द्वापर युग में प्राकट्य हुआ था, वैसे योग में जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
समृद्धि व सिद्धि कारक है कृष्णाष्टमी
पंडित झा ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का होना बेहद शुभ होता है। इस नक्षत्र में योगेश्वर श्रीकृष्ण का पूजन सुख-शांति तथा समृद्धि देने वाला माना गया है। साधना तथा नवीन वस्तुओं की खरीदी के मान से भी यह दिन सर्वोत्तम है। जन्माष्टमी पर सोमवार दिन, कौकिल करण तथा जयंती योग के होने से युग्म संयोग बना है। यह योग शुभ कार्यों में सिद्धि देने वाला है क कई वर्षों के बाद गृहस्थ व वैष्णवजन दोनों ही आज बांके बिहारी का 5248वां जन्मोत्सव मनाएंगे।
मनोकामना पूर्ति के लिए ये करें अर्पित
धन एवं वंश वृद्धि के लिए पीत पुष्प में इत्र लगाकर अर्पण करें
वैवाहिक तथा न्यायिक कार्य में सफलता के लिए हल्दी एवं केसर चढ़ाएं
स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से मुक्ति के लिए गुड़ से निर्मित खीर व हलवा का भोग लगाएं
सौंदर्य तथा निरोग काया की प्राप्ति के लिए माखन एवं दूध से बनी वस्तु का भोग लगाएं
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:25 बजे से 12:15 बजे तक
जन्माष्टमी निशिता पूजा का समय : मध्य रात्रि 11:59 बजे से 12: 44 बजे तक
निशिता पूजा शुभ मुहूर्त की अवधि : 45 मिनट
राशि के अनुसार कान्हा को भोग, मंत्र -पाठ
मेष : माखन मिश्री का भोग लगाकर ॐ कमलनाथाय नम: का जाप
वृष : माखन का भोग लगाकर श्रीकृष्णाष्टक का पाठ
मिथुन : दही अर्पण कर ॐ गोविंदाय नम: का जाप
कर्क : केसर मिश्रित दूध का भोग तथा राधाष्टक का पाठ करें
सिंह : माखन-मिश्री चढ़ाने के बाद ॐ कोटि सूर्य संप्रयाय नम: का जाप
कन्या : मावा का भोग एवं ॐ देवकीनंदनाय नम: का जाप
तुला : घी से निर्मित भोग के बाद ॐ लीलाधराय नम: का जाप
वृश्चिक : माखन या दही अर्पित कर ॐ बराहाय नम: का जाप
धनु : पीला मिष्ठान का भोग तथा ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप
मकर : मिश्री का भोग के बाद ॐ नमो कृष्ण वल्लभाय नम: का जाप
कुंभ : बालूशाही का भोग के बाद ॐ नमो कृष्ण वल्लभाय नम: का जाप
मीन : केसर व बर्फी अर्पित कर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप
इसका करे पाठ और जाप
पाठ- गोपाल सहस्त्रनाम, विष्णु सहस्त्रनाम
मंत्र- श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:।।

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