PATNA : पशुपालक मनुष्य के भी पालक ; डॉ. सिन्हा

पटना,फुलवारीशरीफ। किसानों और पशुपालकों पर राज्य और देश का विकास निर्भर है, यह वर्ग जितना परिश्रम करेंगे हमारा देश उतना ही उन्नत होगा। साथ ही पशुपालन का हमारे देश में बहुत बड़ा योगदान है। पशुपालक सिर्फ पशु को पालने का काम नहीं करते बल्कि समाज को दूध रूपी अमृत का सेवन कराकर मनुष्य को भी पाल रहे है। उक्त बातें बिहार ह्यूमन साइंसेज यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एस.एन. सिन्हा ने कही। वे बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के अंगीभूत संजय गाँधी गव्य प्रौद्योगिकी संस्थान में चल रहे विश्व बैंक पोषित कोसी बेसिन विकास परियोजना और पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में डेयरी प्रबंधन और दूध से मूल्यवर्धन पर चल रहे 5 दिवसीय चतुर्थ प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। वही उन्होंने आगे कहा की दूध धरती पर अमृत है, जिसका मुकाबला किसी खाद्य पदार्थ से नहीं हो सकता है। अगर दूध के गुणवत्ता से छेड़-छाड़ न किया जाये तो यह सबसे उत्कृष्ट सेवन करने योग्य वास्तु है। वही उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे पशुपालकों से कहा की वे जाकरूक हो और मेहनत से काम करें। सरकार उन्हें हर संभव मदद करने को तत्पर है।

वही विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेशवर सिंह ने कहा की यह प्रशिक्षण कोसी और आस-पास के जनजीवन को सुदृढ़ करने में सहायक होगा। आज हमारा राज्य पशुपालन में बेहतर कर रहा है मगर इसे अग्रिम पंक्ति में स्थापित रखने की जरुरत है। जिसके लिए समय-समय पर किसानों और पशुपालकों को सरकार के योजनाओं का ज्ञान और क्षेत्र में हो रहे नए बदलाव की जानकारियों से अवगत कराने की जरुरत है। वही विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. ए.के ठाकुर ने इस प्रशिक्षण के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहा की 6 वर्ष पूर्व शुरू हुई इस परियोजना में कोसी बेसिन के क्षेत्रों के जनजीवन को आपदा से बचाने और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने का एक प्रयास है। जिसमें हम उद्देश्य के पूर्ति की ओर अग्रसर है। वही इस कार्यक्रम में अब तक सुपौल, सहरसा, मधेपुरा और पूर्णिया से चयनित 40 पशुपालकों को प्रशिक्षित किया जा चूका है और अररिया के पशुपालकों के लिए जल्द ही प्रशिक्षण आयोजित की जाएगी।

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