पारस हॉस्पिटल ने किया पहला हिप ऑर्थोप्लास्टी कोर्स का आयोजन, कूल्हा प्रत्यारोपण पर चर्चा के लिए पटना में देशभर के डॉक्टर जुटे

पटना। पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल और ओरेफ (ऑर्थोपेडिक रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन) इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में हिप ऑर्थोप्लास्टी (कूल्हा प्रत्यारोपण) कोर्स का आयोजन किया गया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत शनिवार से हुई। इस कार्यक्रम में देशभर के जाने-माने चिकित्सकों ने कूल्हा प्रत्यारोपण से जुड़े विविध आयामों पर विशेष चर्चा की। जिनमे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित अन्य प्रदेशों के करीब दो सौ लोगों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लेकर कूल्हा से जुड़ी समस्याओं, इसके निदान और इसके प्रत्यारोण के संबंध में जानकारी हासिल की। वही इस कार्यक्रम में कूल्हा प्रत्यारोपण की नई तकनीकों के साथ-साथ पुरानी विधियों और आज के समय में अन्य जगहों पर क्या कुछ नया हो रहा है। इसपर विस्तार से चर्चा की गयी। वही इस कार्यक्रम में शॉ बोन मॉडल पर एक वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया। इस मॉडल पर नई तकनीकों के जरिए कूल्हा प्रत्यारोपण करके दिखाया गया। सत्र की शुरुआत करते हुए पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल में जोड़ रोग विशेषज्ञ सह आयोजन सचिव डॉ. अरविन्द प्रसाद गुप्ता ने कहा कि उम्र बढ़ने के साथ लोगों का कूल्हा खराब होने लगता है। पहले का चोट जिसका सही ढंग से इलाज नहीं होने पर भी काफी तकलीफो का सामना करना पड़ता है। कोविड के समय जिन्होंने एस्ट्रॉयड का ज्यादा सेवन किया उनका भी कूल्हा खराब होने की शिकायतें आ रहीं हैं।

गठिया में भी कूल्हे का खराब होना अब सामान्य हो गया है। ऐसी स्थितियों में हम कूल्हा को बदलने की सलाह देते हैं। अब कूल्हा के प्रत्यारोण में किस तकनीक का इस्तेमाल हो इसपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि प्रत्यारोण ज्यादा से ज्यादा सफल हो सके। वही पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑर्थोपेडिक्स के निर्देशक एवं हिप ऑर्थोप्लास्टी कोर्स के आयोजन अध्यक्ष डॉ. जॉन मुखोपाध्याय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यदि कूल्हे में इंफेक्शन हो जाए तो उसे कैसे ठीक किया जाय। वही उन्होंने कूल्हे के प्रकार, कौन सा कुल्हा किसमें उपयुक्त बैठेगा, किस उम्र में कूल्हे का प्रत्यारोपण करना चाहिए और प्रत्यारोपण को कितने दिन तक रोककर रख सकते हैं। इनसब बातों पर विस्तार से प्रकाश डाला। वही बनारस से आए डॉ. अमित रस्तोगी ने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि कूल्हे के प्रत्यारोपण के बाद उसमें इंफेक्शन आ जाता है और फिर से उसका कुल्हा खराब हो जाता है। इस स्थिति में विशेष सर्जरी की जरूरत होती है।

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