एक्सक्लूसिव स्टोरी-उद्धव ठाकरे सरकार के ‘गले’ पर लटक रही है सुशांत सिंह राजपूत के ‘मौत’ की तलवार

पटना।(बन बिहारी)महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे सरकार के लिए सुशांत सिंह राजपूत मौत प्रकरण गले की फांस बनते जा रही है।महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच का विरोध तो कर दिया है।मगर सुप्रीम कोर्ट के अभी तक के रुख को देखकर ऐसा लगता नहीं है कि वह महाराष्ट्र सरकार के विरोध को जायज ठहराएगी। ऐसे में अगर सीबीआई जांच आरंभ होती है तो महाराज की उद्धव ठाकरे सरकार पर इसके गहरे प्रभाव पड़ने के संकेत व्यक्त किए जा रहें हैं। एक तरफ तो मुंबई पुलिस तथा महाराष्ट्र सरकार के द्वारा सीबीआई जांच का विरोध तथा दूसरी तरफ इस मामले में अब तक मुंबई पुलिस के द्वारा की गई जांच का फजीहत ठाकरे सरकार के लिए गले की हड्डी बन सकती है।दरअसल महाराष्ट्र में गठबंधन वाली सरकार है।शिवसेना,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा कांग्रेस के बदौलत उद्धव ठाकरे के सरकार चल रही है।आज देश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह साफ समझ में आता है की केंद्र के तख्त पर बैठी भाजपा सभी प्रमुख राज्यों में अपना सरकार बनाए रखना चाहती है। मध्यप्रदेश में तो तख्तापलट में भाजपा कामयाब भी रही।राजस्थान में सिंहासन के लिए उठापटक अभी तक जारी है।अब राजनीतिक विश्लेषकों के द्वारा कयास लगाया जा रहा है की सुशांत सिंह राजपूत के मौत की सीबीआई जांच आरंभ होने के बाद महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार की कुर्सी भी डगमगाएगी।फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत प्रकरण की सीबीआई जांच को लेकर ठाकरे सरकार ‘सेल्फ प्रोटेक्शन’ की राजनीति करती दिख रही है।मसलन अगर बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत की मौत आत्महत्या है,जैसा कि मुंबई पुलिस के जांच में अब तक सामने आया है तो फिर इस मामले को सीबीआई जांच के लिए आगे बढ़ाने में महाराष्ट्र सरकार को क्या आपत्ति हो सकती है।इतना ही नहीं महाराष्ट्र सरकार तथा मुंबई पुलिस ने जांच के लिए मुंबई पहुंचे बिहार पुलिस के साथ कैसा सलूक किया।यह भी पूरे देश ने देख लिया है।देश में अभी बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मुद्दा प्राइम टाइम पर छाया हुआ है।बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक आवाज उठ रहे हैं कि आखिर इस मामले की सीबीआई जांच में महाराष्ट्र सरकार का आपत्ति क्या है?दरअसल शिवसेना जानती है कि उसकी सरकार गठबंधन पर टिकी हुई है।अगर जांच के दौरान सीबीआई संभवतः केंद्र सरकार के इशारे पर या वास्तविकता को समझते हुए ठाकरे परिवार को जांच की जद में लाती है।तो तत्काल खड़े होने वाले राजनीतिक मुसीबतों के चलते कांग्रेस या रांकापा अपना अलग राह चुन सकती है।खास तौर पर बिहार में चुनाव है तथा इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण कड़ी यह है की महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस शिवसेना के साथ खड़ी दिखती है।वहीं बिहार में सुशांत सिंह राजपूत मौत प्रकरण को लेकर बिहार कांग्रेस के तेवर कुछ अलग दिखते हैं। जानकारों का मानना है कि महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे भली-भांति समझते हैं कि जब राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच सीएम अशोक गहलोत के भाई के ठिकानों पर ईडी का छापा हो सकता है। तो ऐसे में महाराष्ट्र में सीबीआई सुशांत सिंह राजपूत मौत प्रकरण के जांच के दौरान किस कदर हावी हो सकती है।वैसे भी इस प्रकरण को लेकर महाराष्ट्र के कद्दावर नेता नारायण राणे तथा पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत ठाकरे परिवार के अधिकांश विरोधियों ने मुंबई में भी मोर्चा खोल रखा है।भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तो पहले से ही उद्धव ठाकरे की सरकार के खिलाफ है ही।महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार का गठन राजनीति के अभूतपूर्व शह तथा मात के खेल के बाद हुआ था।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार ने अपने राजनीतिक अनुभव के बल पर गृह मंत्री अमित शाह के राजनीतिक मंसूबों को नाकामयाब कर दिया था।ऐसे में अगर महाराष्ट्र सरकार पर किसी प्रकार का संकट आता है तो ठाकरे परिवार के विरोधी सत्ता परिवर्तन के किसी भी गुंजाइश को हाथ से जाने नहीं देंगे।

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