रिपोर्ट को पढ़कर हिल जाएंगे आप : पेट पालने के लिए महिलाएं गर्भाशय तक निकलवा रही

CENTRAL DESK : देश में एक बड़ा मामला सामने आया है। जब आप इस पूरी रिपोर्ट को पढ़ेंगे तो आप भी चिंता में डूब जाएंगे, आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि कैसे हमारे देश की गरीब मजदूर महिलाएं अपने व अपने बच्चों का पेट पालने के लिए किस तरह से अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। जब देश की आर्थिक राजधानी की हालात ही इतने खराब हो तो अन्य राज्यों की बात करना ही बेमानी है। भले ही हम भारत के 5 ट्रिलियन इकोनामी के लक्ष्य को पाने की बात कर रहे हो लेकिन जब देश के लोगों की हालत ही इतनी खराब है तो इससे बहुत कुछ पता चलता है। महाराष्ट्र में गरीब मजदूर महिलाएं मजबूरी में अपनी गर्भाशय निकलवाने को मजबूर हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी के मंत्री नितिन रावत ने यह मामला उठाया है और उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस बाबत पत्र भी लिखा है। इस रिपोर्ट पर गौर करें तो यही पता चलता है कि जहां हमारा देश भारत 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी कर लक्ष्य हासिल करने में जुटा है तो वहीं दूसरी ओर गरीब मजदूर महिलाएं अपना व बच्चों का पेट पालने के लिए अपना गर्भाशय ही निकलवाने तक को मजबूर हैं।
पूरा मामला कुछ ऐसा है: महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में मजदूरी बचाने के लिए हजारों महिलाओं द्वारा गर्भाशय निकलवा देने के कई मामले सामने आ चुके हैं। यहां लोगों के आर्थिक हालात इतने खराब हैं कि पुरुषों के साथ महिलाएं भी हर दिन मजदूरी करने जाती हैं लेकिन मासिक धर्म के दौरान उन्हें छुट्टी लेनी पड़ती है और इस वजह से उनके हर महीने चार-पांच दिन के पैसे काट लिए जाते हैं। इस मामले में कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितिन रावत ने सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। मंत्री नितिन राउत के अनुसार इस क्षेत्र में गन्ना श्रमिकों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है और वह अपनी मजदूरी बचाने के चक्कर में गर्भाशय ही निकलवा देती हैं। सीएम उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में रावत ने कहा है कि माहवारी के दिनों में बड़ी संख्या में महिला मजदूर काम पर नहीं आती। काम से अनुपस्थित रहने के कारण उन्हें मजदूरी भी नहीं मिलती है। पैसों की हानि से बचने के लिए ही महिलाएं अपना गर्भाशय निकलवाने को मजबूर हैं ताकि ना महावारी होगा और ना उन्हें काम से छुट्टी लेनी पड़ेगी। कांग्रेस नेता का कहना है कि देश की आर्थिक राजधानी महाराष्ट्र में ऐसी महिलाओं की संख्या करीब 30 हजार है। उन्होंने कहा है कि गन्ने का सीजन 6 महीने का होता है। इन महीनों में अगर गन्ना फैक्ट्रियां प्रति महीने 4 दिन की मजदूरी देने को राजी हो जाए तो इस समस्या का समाधान हो सकता है। रावत ने अपने पत्र में उद्धव ठाकरे से अनुरोध किया है कि वह मानवीय आधार पर मराठवाड़ा क्षेत्र की इन गन्ना महिला मजदूरों की समस्या के समाधान के लिए संबंधित विभाग को आदेश देते हुए उचित कदम उठाएं। बता दें नितिन रावत के पास PWD, आदिवासी मामले, महिला एवं बाल विकास, कपङा, राहत एवं पुनर्वास मंत्रालय विभाग का कार्यभार है।

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