आश्विन शुक्ल अष्टमी में बुधवार को होगी महागौरी की पूजा, सुकर्मा व धृति योग में महानवमी गुरूवार को

  • हवन-कन्या पूजन के साथ नवरात्र का होगा समापन

पटना। शारदीय नवरात्र के सातवें दिन मंगलवार को माता के उपासक ने देवी कालरात्रि की पूजा विधि-विधान से कर माता का पट खोला। जयकारे, भजन-कीर्तन, स्तुति, प्रार्थना कर देवी का कपाट खोला गया। अनिष्ट कारकों से मुक्ति की प्रार्थना तथा गुड़ से निर्मित प्रसाद माता को अपर्ण किए। माता का दिव्य दर्शन पाकर भक्त निहाल हो गए। वहीं बुधवार को आश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि में पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में आदिशक्ति माता दुर्गा के अष्टम रूप में सर्वसिद्धि को देने वाली माता महागौरी की पूजा होगी। देवी का श्रृंगार पूजा किया जाएगा, जिसमें माता को वस्त्र, श्रृंगार प्रसाधन, कमल पुष्प, अपराजिता फूल, इत्र आदि अर्पित होंगे। भोग में नारियल से निर्मित मिष्ठान अर्पित किया जायेगा।
महागौरी माता का अलौकिक स्वरूप
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिर्विद् आचार्य राकेश झा ने मार्कण्डेय पुराण के हवाले से बताया कि महागौरी माता दुर्गा की आठवीं शक्ति देवी है। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है। मां गौरी का ये रूप बेहद सरस, सुलभ और मोहक है। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। धार्मिक मान्यता है कि अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन-ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक, मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी के नाम से जानी गयी। इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी श्वेत ही हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन वृष है। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।
देवी की पूजा से मधुर होंगे वैवाहिक जीवन
शारदीय नवरात्र के अष्टम पूजा में देवी महागौरी की पूजा करने से सभी प्रकार पाप नष्ट हो जाते हैं। जिससे मन और शरीर शुद्ध एवं पवित्र हो जाता है। देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती हैं। इनकी पूजा से अपवित्र व अनैतिक विचार भी नष्ट होते हैं। जगत जननी के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है। जिससे सकारात्मक ऊर्जा, एकाग्रता में वृद्धि तथा सर्व कष्ट से मुक्ति मिलती है। महागौरी की पूजा से शीघ्र विवाह का वरदान तथा वैवाहिक जीवन भी मधुर हो जाता है। रामचरितमानस के अनुसार माता सीता ने भगवान श्रीराम को पाने हेतु इसी देवी की आराधना की थी। ज्योतिष शास्त्र में इनका संबंध शुक्र नामक ग्रह से माना गया है।
महागौरी की आराधना से दूर होते कष्ट
ज्योतिषी झा के मुताबिक माता जगदम्बा के आठवें रूप महागौरी की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। इस देवी के स्मरण व पूजन मात्र से श्रद्धालुओं को व्यापार, दांपत्य जीवन, सुख-समृद्धि, धन आदि में वृद्धि होती है। ऐसे लोग जो अभिनय, गायन, नृत्य आदि के क्षेत्र में हैं उन्हें देवी की पूजा से विशेष सफलता मिलती है। यह माना जाता है कि उनकी पूजा से त्वचा संबंधी रोगों का भी निवारण होता है।
महागौरी देवी मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

About Post Author

You may have missed