बैठक में निर्णय : मांगों को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ न्यायालय से लेकर सड़क तक करेगा संघर्ष

पटना। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ से जुड़े वर्ष 1999 व 2000 में नियुक्त शिक्षकों और शहरी नगर निकाय क्षेत्र में नियुक्त नियोजित शिक्षकों की संयुक्त बैठक हुई। शिक्षक संघ के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक मुरादपुर मध्य विद्यालय संकुल संसाधन केंद्र कक्ष में संपन्न हुई। इसमें प्राथमिक शिक्षकों ने कई मांगों को दुहराया। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि मांगों को लेकर बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ न्यायालय से लेकर सड़क तक संघर्ष करेगा।
बैठक को संबोधित करते हुए कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही की वजह से विभाग में मुकदमेबाजी बढ़ रही है। सरकार को संगठन से वार्ता कर सभी मामलों का हल ढूंढना चाहिए ताकि शिक्षकों को न्यायालय का चक्कर नहीं लगाना पड़े। उन्होंने कहा कि बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के साथ विगत दिनों हुए समझौते में नियोजित शिक्षकों को 15 फीसदी वेतन बढ़ोतरी का लाभ और अन्य भत्ते देने का समझौता हुआ था। वेतन विसंगति जो नियोजित शिक्षकों का है, उसे समाप्त करना तय हुआ था लेकिन सरकार ने अब तक उपरोक्त समझौते को लागू नहीं किया है। इससे शिक्षकों में काफी आक्रोश है। बैठक में सरकार को सुझाव दिया गया कि यथाशीघ्र उपरोक्त संदर्भ में पत्र निकाल कर समस्या का समाधान हो।
बैठक में प्रमुख रूप से संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार, राज्य प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी प्रेमचंद्र नीलगिरी, प्रकाश सिन्हा, संतोष कुमार, उदय नारायण चौबे, राजेश कुमार, मोहम्मद अशरफ अली, फिरोज अनवर और मोहम्मद अहमरूल हक आदि शामिल थे।
ये मांगें हैं
* पंचायती राज अधिनियम के तहत नगर निकाय क्षेत्र में नियुक्त सभी नगर शिक्षकों को परिवहन भत्ता का लाभ देने।
* वर्ष 1995 के बाद बिहार में नियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से सेवा की गणना करते हुए बिहार सरकार सीडब्ल्यूजेसी 6139/2007 में दिनांक 31/3/2011 को पारित आदेश के आलोक में वरीय वेतनमान देने।
* वित्त विभागीय पत्रांक 8921 दिनांक 7/12/2018 के आलोक में प्रथम, द्वितीय उन्नयन अथवा वरीय वेतनमान का लाभ दिए जाने के पश्चात शिड्यूल्ड टू के न्यूनतम प्रक्रम पर वेतन निर्धारित करते हुए शिक्षकों को ग्रेड पे के हिसाब से प्रारंभिक वेतन का लाभ देने।
* शिक्षकों को 10 वर्ष, 20 वर्ष और 30 वर्ष की सेवा के उपरांत वित्तीय उन्नयन का लाभ देने की मांग शामिल है।

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