BIHAR : अखंड सुहाग की कामना से सुहागिनों ने किया तीज व्रत

  • 14 वर्षों बाद रवियोग में मनी हरितालिका तीज

पटना। अखंड सुहाग की कामना से सुहागिन महिलाओं ने गुरुवार को भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि में हस्त नक्षत्र के साथ ग्रह-गोचरों के युग्म संयोग में तप एवं निष्ठा का प्रतीक हरितालिका तीज व्रत किया। 14 वर्षों के बाद रवियोग के पुण्यकारी संयोग में तीज की उपासना हुई। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अधिकांश महिलाएं अपने घरों में पंडित-पुरोहित की मदद से भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर उसका पूजा-अर्चना कर कथा श्रवण की। पार्थिव शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही सहित पंचामृत से स्नान के बाद रंग-बिरंगे वस्त्र, चंदन का लेप, भस्म, फूलमाला, इत्र, भांग, धुप-दीप के बाद ऋतुफल, मिष्ठान तथा नाना प्रकार के पकवान भोग स्वरूप अर्पित कर आरती उतारी, फिर अपनी कामना पूर्ति हेतु प्रार्थना किया। मंदिरों में भी सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ दिख रही थी। संध्या काल में व्रती भगवान की पूजा के बाद ब्राह्मण देवता से संकल्प का मंत्र पढ़ाकर कथा सुनी।


शिव के साथ शिव परिवार की हुई पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि गुरुवार को तीज के मौके पर सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा, दीघार्यु, संतान की प्राप्ति व उन्नति, सुख-समृध्दि की कामना से हरितालिका तीज पर्व की पूजा में सर्वप्रथम विध्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा, कलश पूजन, कृतिमुख, नंदी के साथ-साथ प्रधान देव भगवान भोलेनाथ तथा माता गौरी की पूजा हुई। धार्मिक मान्यता है कि शिव परिवार की पूजा से घर में सकारात्मकता का आगमन, ग्रह-गोचरों की शांति तथा सभी कामनाओं की पूर्ति होती है क शिव को अकावन, भांग, धतूरा, बेलपत्र तो माता पार्वती को लाल फूल, सिंदूर, इत्र आदि से पूजा किया गया।


संतान की सलामती हेतु चौथचंद्र (चउरचन) व्रत कल
वैदिक पंडित राकेश झा ने कहा कि बिहार में खासकर मिथिलांचल में किया जाने वाला प्रसिद्ध त्योहार चौथचंद्र (चउरचन) व्रत कल स्वाति नक्षत्र, ब्रह्म व रवियोग के युग्म संयोग में किया जाएगा। श्रद्धालु संतान की सलामती, दीर्घायु, आरोग्य एवं निष्कलंक के लिए ऋतूफल, दही तथा पकवान हाथ में लेकर चंद्र दर्शन करेंगे। चन्द्रमा के पूजन एवं अर्घ्य देने से मनोविकार से मुक्ति, आरोग्यता, ऐश्वर्य, संतान के दीघार्यु होने का वरदान मिलता है। इसी दिन गणेश भगवान ने चन्द्रमा को श्रापमुक्त करके शीतलता एवं सौंदर्य का वरदान दिए थे।

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