इस्पात उद्योग प्लास्टिक कचरे के लिए स्थायी समाधान प्रदान कर सकता है : आरसीपी

पटना। केंद्रीय इस्पात मंत्री रामचन्द्र प्रसाद सिंह ने शुक्रवार को उद्योग भवन में भारतीय इस्पात अनुसंधान और प्रौद्योगिकी मिशन (एसआरटीएमआई) द्वारा प्रस्तुत ‘लौह और इस्पात उद्योग में प्लास्टिक अपशिष्ट उपयोग’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के निष्कर्षों पर विचार करने के लिए इस्पात मंत्रालय के सभी अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता की। इसमें रिपोर्ट पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई। यह देखा गया है कि कोक, ब्लास्ट फर्नेस आयरन, इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस स्टील बनाने जैसी विभिन्न प्रक्रियाओं में प्लास्टिक कचरे के उपयोग के लिए लौह और इस्पात उद्योग बड़े पैमाने पर काम कर सकता है और कचरे को सम्पदा में परिवर्तित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को सही मायने में साकार कर सकता है। उन्होंने मामले को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ उठाने का निर्देश दिया ताकि स्टील क्षेत्र को भी प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत अंतिम उपयोगकर्ता के रूप में शामिल किया जा सके और आगे विचार-विमर्श और बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कचरे का उपयोग आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। यह सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और नैतिक मुद्दों में से एक बन गया है। फूड रैपर, प्लास्टिक बैग और पेय की बोतलें जैसे सिंगल-यूज प्लास्टिक लैंडफिल, नदियों को तेजी से भर रहे हैं और उन्हें बस इतनी तेजी से नष्ट नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार लोहा और इस्पात उद्योग संसाधन दक्षता को बढ़ावा देगा और एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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