भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव और बालकृष्णन पर चलेगा आपराधिक मुकदमा, 3 जून को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अब क्रिमिनल केस चलेगा। एकअदालत ने इसकी इजाजत दे दी है। 3 जून को इस मामले में अगली सुनवाई होगी। इस केस में रामदेव और बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होने की भी संभावना है। आपको बता दें कि इससे पहले दोनों ही सुप्रीम कोर्ट की अवमानना को लेकर कार्यवाही का सामने कर रहे हैं। देश की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें सशरीर पेश होने का आदेश दिया था। अप्रैल 2024 में ड्रग्स इंस्पेक्टर द्वारा दायर मामले में केरल के कोझिकोड में फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई होनी है। ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3 (बी) और 3 (डी) के तहत मामला दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निर्देश दिया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े अवमानना मामले में उनकी उपस्थिति अनिवार्य है। पतंजलि आयुर्वेद और इसके संस्थापकों को अपने विज्ञापनों में किए गए दावों के लिए कई अदालतों में जांच का सामना करना पड़ रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके कारण पतंजलि के कुछ विज्ञापनों पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया गया था। बीमारियों के इलाज में उनके उत्पादों के प्रभाव के बारे में झूठे दावों के लिए अवमानना नोटिस जारी किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जनता को गुमराह करने और उपभोक्ताओं के भरोसे का फायदा उठाने के लिए पतंजलि की आलोचना की और कंपनी को अखबारों में माफीनामा प्रकाशित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ 1945 के ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स को लागू न करने के लिए केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई थी।

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