ग्रह-गोचरों के दुर्लभ संयोग में शरद पूर्णिमा मंगलवार को, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

  • सर्वार्थ सिद्धि व रवियोग का बना पुण्यकारी संयोग, स्नान-दान व व्रत की पूर्णिमा बुधवार को

पटना। मंगलवार को आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाएगा। शारदीय पूर्णिमा को चन्द्रमा सोलह कलाओं की कलाओं के साथ अपनी शीतलता पृथ्वी पर प्रसारित करता है। धन की देवी माता लक्ष्मी चंद्रलोक से पृथ्वी पर आती हैं। यह पूर्णिमा सभी बारह पूर्णिमाओं में सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा के प्रकाश में औषधीय गुण मौजूद रहते हैं, जिनमें कई असाध्य रोगों को दूर करने की शक्ति होती है। आज के दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है। प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण भगवान कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था।
ग्रह-नक्षत्रों के दुर्लभ संयोग में शरद पूर्णिमा
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि कल शरद पूर्णिमा सर्वार्थ सिद्धि योग तथा रवियोग में पुण्यकारी संयोग में मनायी जायेगी। वहीं स्नान-दान व व्रत की पूर्णिमा बुधवार को रेवती नक्षत्र तथा हर्षण योग में मनेगी। शरद पूर्णिमा पर शुभ योग के बनने से इस पूर्णिमा का महत्व और अधिक बढ़ गया है। मंगलवार को संध्या में माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना करने से सुख-समृद्धि, धन लाभ एवं ऐश्वर्य में वृद्धि होती हैं। शरद पूर्णिमा पर स्वास्थ्य के साथ आर्थिक स्थिति में भी सुधार होने के योग बन रहे हैं। इस महायोग के बनने से शरद पूर्णिमा के दिन खरीदारी और नए काम आरंभ करना शुभकर होगा। इस शुभ संयोग में धन लाभ होने की संभावना और बढ़ जाएगी। इस दिन शुभ कार्य, गरीब-निर्धन की सेवा, दूध-दही, चावल आदि का दान का पुण्यफल काम लंबे समय तक लाभ देता है।
रात में चन्द्र की किरणें बरसाएंगी अमृत
पंडित झा ने कहा कि शरद पूर्णिमा के रात्रि में चंद्रमा की सोममय रश्मियां पेड़-पौधों और वनस्पतियों पर पड़ने से उनमें भी अमृत का संचार हो जाता है। रात में चन्द्र की किरणों से जो अमृतवर्षा होती है, उसके फलस्वरुप घरों के छतों पर रखा खीर अमृत सामान हो जाती है। उसमें चंद्रमा से जनित दोष शांति और आरोग्य प्रदान करने की क्षमता आ जाती है। यह प्रसाद ग्रहण करने से प्राणी को मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। चंद्र की पीड़ा के कारण जातक को कफ, खांसी, सर्दी-जुकाम, अस्थमा, फेफड़ों और श्वांस के रोग संबंधी परेशानियां रहती है। शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्र का अवलोकन व आराधना तथा शीतल खीर का प्रसाद ग्रहण करने से इन रोगों से मुक्ति मिलती है। जिन विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में न लगता हो, वे इस दिन चन्द्र यन्त्र धारण करके परीक्षा या प्रतियोगिता में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।
शरद पूर्णिमा का पौराणिक महत्व
पंडित झा ने बताया कि आश्विन पूर्णिमा यानि शरद पूर्णिमा देवों के चतुर्मास के शयनकाल का अंतिम चरण होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए सुख, सौभाग्य, आयु, आरोग्य और धन-संपदा की प्राप्ति के लिए इस पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। इस रात को मां लक्ष्मी स्वर्गलोक से पृथ्वी पर प्रकट होती हैं। इस रात मां लक्ष्मी को जो भी व्यक्ति पूजा करता हुआ दिखाई देता है। मां उस पर कृपा बरसाती हैं।
श्रीसूक्त का पाठ दिलाएगा आर्थिक संकटों से मुक्ति
ज्योतिषी पंडित झा ने कहा कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। खीर को कल रात छत पर रखें और कल सुबह उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें। रात्रि बेला में हनुमान जी के सामने चौमुख दीपक जलाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने तथा आर्थिक संकटों से छुटकारा पाने के लिए पूर्णिमा की रात्रि में घर में घी के 21 दीपक जलाकर श्रीसूक्त का 51 बार पाठ करें। समस्त सुखों की प्राप्ति के लिए शरद पूर्णिमा के रात्रि में माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की आराधना एवं विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी की पूजा मुहूर्त
स्थिर लग्न : शाम 06:52 बजे से 08:26 बजे तक
निशीथ काल : रात्रि 10:01 बजे से रात्रि 11:35 बजे तक

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