वृद्धि योग में सत्तुआनी 14 अप्रैल को, रवियोग योग में जुड़शीतल शुक्रवार को

पटना। जहां एक ओर चैत्र मास में ही भीषण गर्मी का प्रकोप बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर ग्रह-गोचरों की दुनिया में भी आज हलचल हो रहा है। ग्रहों के महामंत्री प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य कल अश्विनी नक्षत्र में मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य का यह संक्रमण हिंदू धर्मावलंबियों के लिए खास महत्व रखता है। गुरूवार को चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को वृद्धि योग में सतुआनी और शुक्रवार को जुड़शीतल का पर्व मनाया जाएगा। इसके साथ ही विगत एक महीने से चला आ रहा खरमास भी कल समाप्त हो जाएगा।
सूर्य का मीन से मेष राशि में गोचर
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि चैत्र शुक्ल त्रयोदशी गुरुवार को बनारसी पंचांग के अनुसार सुबह 10:30 बजे तथा मिथिला पंचांग के मुताबिक दोपहर 11:15 के बाद अश्विनी नक्षत्र के उपस्थिति में सूर्य मीन राशि से मेष राशि में गोचर करेंगे। खरमास के समाप्त होने से सभी शुभ मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। वहीं बंगला नववर्ष 1429 भी शुरू हो जाएगा। सनातन धर्मावलंबी हरिद्वार, काशी, प्रयागराज संगम तथा गंगा में स्नान कर दान-पुण्य करेंगे।
सूर्य के संक्रमण से ग्रहों-गोचरों का बना युग्म संयोग
ज्योतिषी झा के मुताबिक सत्तुआनी पर सूर्य अश्विनी नक्षत्र की उपस्थिति में मीन से मेष राशि में स्थानांतरित करेंगे। इसके साथ ही कर्क रेखा से दक्षिण की ओर जाने के कारण जुड़शीतल पर रवियोग का संयोग बन रहा है। इस पुण्य काल में गंगा, प्रयाग, तीर्थ आदि में स्नान एवं दान का विशेष महत्व होता है। कल भगवान भास्कर की कृपा पाने एवं पितरों को संतुष्ट करने के लिए सत्तू, गुड़, चना, पंखा, सजल घट, आम, ऋतु फल एवं अन्य दान का विशेष महत्व है।
सत्तू-आम के सेवन से स्वास्थ्य लाभ
पंडित झा ने बताया कि मेष राशि स्थित सूर्य में सत्तू एवं जल पूर्ण पात्र दान करने से उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। सूर्य के मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही ग्रीष्म ऋतु का आरंभ हो जाता है, इसलिए इस मौसम में शरीर को ठंडक देने वाले आहार के सेवन का प्रावधान है। सत्तू और छोटे आम के टिकोले से बनी चटनी शरीर को ठंडक प्रदान करते करने के साथ सुपाच्य भी होते होते हैं, इसलिए सत्तुआनी में सत्तू खाने का विधान है। कई जगह जौ या बूट के सत्तू को आम के चटनी के साथ सेवन का विधान है। सूर्य संक्रांति के अवसर पर स्नान-पूजा करने के बाद ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: या राम नाम का जप करने से बुद्धि प्रखर एवं तेज होती है।
जुड़शीतल के जल में आरोग्यता का वास
पंडित झा के अनुसार जुड़शीतल का त्योहार बिहार समेत प्रदेश के विभिन्न प्रांतों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस पर्व का मिथिला में काफी महत्व है। इस दिन गुड़ और सत्तू के साथ ऋतु फल एवं सजल घट दान किया जाता है। इस पर्व में एक दिन पूर्व जल को मिट्टी के घड़े या शंख में ढंक कर रखने के बाद जुड़शीतल के दिन प्रात: काल उठकर बड़े-बुजुर्ग घर के सभी सदस्यों के ऊपर तथा चारों ओर जल का छींटा देते हैं। मान्यताओं अनुसार, बासी जल के छींटे से तन, मन और मस्तिष्क में शीतलता व आरोग्यता की प्राप्ति तथा पूरा घर व आंगन शुद्ध हो जाता है। जब सूर्य मीन राशि को त्याग कर मेष राशि में प्रवेश करता है तो उसके पुण्यकाल में सूर्य और चंद्रमा की र रश्मियों से अमृतधारा की वर्षा होती है जो आरोग्यवर्द्धक होता है। इसलिए इस दिन लोग बासी भोजन ग्रहण करते हैं।

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