अमृत बजट के नाम पर देश के सामने जहर परोसा गया, बिहार पुनः उपेक्षित ही रह गया : राजद

पटना। आज संसद में पेश किए गए केन्द्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि “अमृत बजट” के नाम पर देश वासियों को जहर परोसा गया है। वहीं इस बार के बजट में भी बिहार की उपेक्षा की गई।  राजद प्रवक्ता ने कहा कि देश की सबसे ज्वलंत समस्या महंगाई और बेरोजगारी को इस बजट में पूर्णतः नजरंदाज कर दिया गया है। डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतों में कोई राहत नहीं दिया गया। लोगों को उम्मीद थी कि डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा तो इससे उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिलेगा पर ऐसा नहीं हुआ। रेल के बढ़े किराए में कोई कमी नहीं की गई। रेलवे द्वारा बुजुर्ग नागरिकों को पूर्व से मिल रहे रियायत एवं अन्य सुविधाएं को कोरोना काल में समाप्त कर दिया गया था। उम्मीद थी कि उसे पुनः चालू कर दिया जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ। मनरेगा में कटौती के सिलसिले को जारी रखा गया है। जबकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था , कृषि और रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुए बजट आवंटन बढ़ाने और मनरेगा के माध्यम से किसानों को मजदूर उपलब्ध कराने की मांग की जा रही थी। बेरोजगारी दूर करने की दिशा में बजट में कोई प्रावधान नहीं दिखाई पड़ रहा है। इस प्रकार केन्द्रीय बजट में गांव, किसान, मजदूर और युवाओं की पुरी उपेक्षा की गई है। बिहार के लिए तो यह बजट और भी ज्यादा निराशाजनक है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा तो दूर बिहार के लिए विशेष पैकेज के साथ हीं पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाने की दीर्घलम्बित मांग के सम्बन्ध में भी बजट में कोई चर्चा नहीं की गई है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में जुमलेबाजी को केवल शब्दों के आवरण से ढंकने का प्रयास किया है।

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