बिहार में बदलते मौसम के कारण इस बार लोगों को लू से मिलेगी राहत, मौसम विभाग ने नए ट्रेंड का जारी किया पूर्वानुमान

पटना। बिहार में पिछले 12 सालों से मौसम के ट्रेंड में बदलाव देखने को मिल रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक 2 साल लू चलने के बाद तीसरे साल बारिश और ठंड तेज हवाओं से औसत तापमान में गिरावट देखी जा रही है। इसी वजह से इस साल भी बिहार में लू चलने के कम आसार हैं। दूसरी ओर, बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल खराब हो गई है जबकि मौसम में इस बदलाव के कारण अस्पतालों में रोगियों की संख्या में 25 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई है। इस साल मार्च के 26 दिनों में अधिकतम तापमान 34 डिग्री और न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। इस दौरान दिन में सबसे कम तापमान 20 मार्च को 24 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। जबकि साल 2021 में मार्च में अधिकतम तापतान 39.6 डिग्री और साल 2022 में 41 डिग्री दर्ज किया गया था। वही मौसम के नए ट्रेंड के मुताबिक 2020 में भी औसत तापमान में गिरावट रही है। इस दौरान अधिकतम तापमान 35 डिग्री जबकि 2019 में अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस था। तापमान में गिरावट का असर मई तक रहेगा। जून से मानसून शुरू हो जाएगा। इसके बाद बारिश का प्रभाव दिखाई देगा। मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और टर्फ रेखा के कारण बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और प. बंगाल में बारिश का सिस्टम सक्रिय है। इसी कारण बिहार के अधिकांश हिस्से में मध्य दर्जे की बारिश हो रही है। ठंडी हवाओं के कारण तापमान में गिरावट है।

जानकारी के अनुसार, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सर्दियों में आने वाला तूफान है। लेकिन, भूमध्य सागर और कैस्पियन सागर में होने सक्रिय सिस्टम की वजह से भारत, नेपाल और पाकिस्तान में नमी प्रवेश कर रही है। इससे पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानों में बारिश हो रही है। इसी कारण देश के उत्तरी हिस्से में चलने वाले गर्म हवाओं से राहत मिलेगी। 2023 में मार्च में 26 दिनों में 9 बार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और सात बार टर्फ रेखा सक्रिय रही। जनवरी-फरवरी में 59 दिनों में केवल पांच बार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सक्रिय था। बिहार में पिछले 9 दिनों से हवा का रुख पश्चिम और उत्तर पश्चिम है। इस कारण लू चलने के कम आसार हैं। वही मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट और आईएमडी के मुताबिक दक्षिण पश्चिम राजस्थान पर चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। जबकि तेलंगाना, दक्षिण छत्तीसगढ़ और आंतरिक ओडिशा से गुजरते हुए झारखंड तक एक निम्न दबाव की रेखा बनी हुई है। इसके कारण मौसमी गतिविधियों में बदलाव देखने को मिल रहा है। उत्तर भारत के राज्यों में हल्की से मध्यम बारिश के बाद मौसम ने करवट ली और मार्च की गर्मी से राहत मिली है।

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