पटना के पालीगंज व दुल्हिन बाजार में रहा बंदी का दिखा पूर्ण असर, सड़कें सुनसान-दुकानें बंद

पालीगंज/दुलहिन बाजार। महागठबंधन के आह्वान पर बिहार विधानसभा में विशेष बिहार पुलिस अधिनियम का विरोध कर रहे विधायकों की पिटाई व तीनों काला कृषि कानूनों के खिलाफ शुक्रवार को भारत व बिहार बंदी का असर पालीगंज व दुल्हिन बाजार में पूर्ण रूप से दिखाई दिया।
दुकानदारों ने बंद रखी दुकानें


इस दौरान पालीगंज में माले के राज्य कमिटी सदस्य सह पालीगंज प्रखंड सचिव सुधीर कुमार के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता शुक्रवार सुबह से ही अपने हाथों में पार्टी के झंडे व बैनर लेकर सड़कों पर उतर गए। इस दौरान दुकानदारों ने भी अपनी दुकानें बंद कर बंदी को समर्थन दिया। वहीं ऐपवा व आइसा के कार्यकर्ताओं ने भी बंदी को सफल बनाने के लिए भाग लिया। इस दौरान सड़कें भी सुनसान नजर आया। महागठबंधन के कार्यकर्ताओं का कहना था कि सरकार अविलंब तीनों काला कृषि कानून व विशेष पुलिस अधिनियम कानून वापस ले। वहीं विधानसभा में विधायकों की पिटाई करनेवाले पुलिस कर्मियों को चिन्हित कर अविलंब बर्खास्त करे। मौके पर माले के राज्य कमिटी सदस्य अनवर हुसैन, जिला कमिट सदस्य सुरेन्द्र पासवान, ऐपवा नेत्री संगीता सिन्हा, दिलीप ओझा, उमेश मांझी, कृष्णनंदन कुमार, राजेश कुमार व नन्द सिंह के अलावे अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।
दुल्हिन बाजार में ऐसा रहा बंद


वहीं दूसरी ओर दुल्हिन बाजार में राजद नेता रामप्रवेश यादव व सर्वेश यादव, माले कार्यकर्ता दुल्हिन बाजार प्रखंड सचिव अमरसेन, ऐपवा नेत्री आशा देवी व आइसा कार्यकर्ता पवन कुमार के नेतृत्व में पार्टी के झंडे व बैनर लेकर सुबह से ही सड़कों पर दिखाई दिया। यहां भी बंदी को सफल बनाने के लिए दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखा। मौके पर राजद नेता रामप्रवेश यादव ने बताया कि नीतीश की सरकार में जो भी व्यक्ति जन समस्याओं को सदन व सदन के बाहर उठाता है, उनके खिलाफ रोक लगाने की साजिश किया जाता है। वहीं राजद नेता सह जिला पार्षद सर्वेश यादव ने बताया कि विधायकों पर इस प्रकार हमला व उनके साथ मारपीट किया जाना लोकतंत्र की हत्या ही नहीं बल्कि काफी निंदनीय है। जबकि माले नेता अमरसेन ने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानूनों सहित विशेष बिहार पुलिस अधिनियम को सरकार वापस नहीं लेगी आंदोलन जारी रहेगी।
मौके पर मुखिया आशा देवी, पूर्व मुखिया विद्यानन्द बिहारी, नरही पिरही के मुखिया संजय रजक, उमेश दास, बिनय दास, सत्येंद्र दास सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।

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