मानवता के लिए दिव्य संदेश हैं गुरु ग्रंथ साहिब

पटना सिटी (आनंद केसरी)। गुरु ग्रंथ साहिब में विभिन्न जातियों के संतों की वाणियों का संग्रह है। इसका संपादन पंचम गुरु श्री अर्जुनदेव जी ने करके भाद्र सुदी प्रथम संवत 1661 यानी 1604 को श्री हरिमंदिर साहिब, अमृतसर साहिब में प्रकाश किया। पहले इसका नाम पोथी साहिब, फिर आदि ग्रंथ साहिब और अंत में संत सिपाही दशमेश पिता ने 1708 में इसे श्री हजूर साहिब (महाराष्ट्र के नांदेड़) में गुरुत्ता प्रदान की। यह बात तख्तश्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के जत्थेदार भाई इकबाल सिंह खालसा ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश पर्व पर आयोजित विशेष दीवान में गुरुद्वारा गायघाट में कही। आज हर गुरुद्वारा एवं घरों में लोग श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सामने ही अदब के साथ शीश झुकाते हैं। श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था सब सिखों को हुक्म है गुरु मान्यो ग्रंथ। गुरु ग्रंथ साहिब को ही गुरु मानना है। इसके पूर्व ग्रंथी भाई सतलोक सिंह की देखरेख में चल रहे श्री अखंड पाठ का समापन हुआ। कीर्तन हजूरी रागी जत्था हरभजन सिंह, भाई नविन्दर सिंह, भाई योगिंदर सिंह और लुधियाना के भाई गुरुचरण सिंह ने पेश किया। कथा ज्ञानी सुखदेव सिंह के किया। अंत में जत्थेदार भाई इकबाल सिंह ने अरदास, हुकुम किया। संगतों के बीच कड़ाह प्रसाद का वितरण के बाद गुरु का अटूट लंगर चला। मौके पर तख्तश्री कमेटी के डॉ गुरमीत सिंह, आरएस जीत, राजा सिंह, लखविन्दर सिंह, एमपी ढिल्लन, हरबंश सिंह, पपिन्द्र सिंह सलुजा, जसपाल सिंह, मनोहर सिंह बग्गा, महेंद्र सिंह छाबड़ा, कंवलजीत कौर, शैलेन्द्र सिंह, अमरजीत सिंह शम्मी, प्रो. शमशेर सिंह आदि मौजूद थे।

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