सरकार के उदासीन रवैये के कारण पर्यटन स्थल से अबतक नहीं जुड़ पाया है राष्ट्रीय धरोहर

दुल्हिनबाजार (वेद प्रकाश)। 12 दिसंबर 1912 में स्थापित अनेक पुरातात्विक व ऐतिहासिक धरोहरों को अपने में समेटे भरतपुरा का गोपाल नारायण पुस्तकालय सह संग्रहालय राष्ट्रीय धरोहरों में से एक है। यह पुस्तकालय सह संग्रहालय पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल से मात्र तीन किलोमीटर पूरब पालीगंज-मसौढ़ी मुख्य सड़क पर भरतपुरा गांव में स्थित अपनी पहचान को ले विख्यात है। इस संबंध में जब संवाददाता उक्त स्थल पर पहुंचकर जब अवलोकन किया तो पाया कि बिहार सरकार के अभिलेखागार विभाग के सर्वे के अनुसार इस पुस्तकालय सह संग्रहालय का स्थान पूरे भारत देश में सातवां स्थान प्राप्त है। उसके बावजूद भी सरकार के उदासीन रवैये के कारण यह पुस्तकालय सह संग्रहालय अब तक पर्यटन स्थल से नहीं जुड़ सका। इस संबंध में बताया गया कि कि सन 1934 में भयानक भूकंप से इसकी भवन ध्वस्त हो गयी थी पर स्व0 रघुराज नारायण के कठिन प्रयास से यह पुनः जीवंत हो उठी। वहीं शताब्दी वर्ष के अवसर 9 दिसंबर 2012 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहयोग से इसके भवन कीे भव्यता व बौद्धिष्ट कला के रूप में विकसित की गयी वहीं 12 फरवरी 2016 को केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव इसे बौद्धिष्ट सर्किट व पर्यटन स्थल से जोड़ने का आश्वासन दिये जो प्रक्रिया में है। पुस्तकालय सह संग्रहालय में गाइड के रूप में कार्यरत अर्चना सिन्हा तथा कम्प्यूटर संचालिका सौम्या कुमारी ने बताया कि राज्य व देश के विभिन्न इलाके से प्रतिदिन पांच सौ से अधिक पर्यटक आते हैं जबकि दिन-प्रतिदिन पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है। दूसरी ओर इन लोगों का मानना है कि यदि इसे पर्यटन स्थल से जोड़ा जाये तो यहां काफी संख्या में विदेशी पर्यटक पहुंचेंगे तथा यहां के स्थानीय बाजार भी काफी विकसित होंगे। ज्ञात हो कि सन 1973 में असमाजिक तत्वों द्वारा चार बहुमूल्य पांडुलिपियां चोरी गयी थी। जिसमें से तीन को कुछ समय बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा अनुसंधान कर प्राप्त की गयी तब से राज्य सरकार इस धरोहर की सुुरक्षा को देखते हये यहां स्थाई रूप से पुलिस कैंप लगवा रखी है वहीं संग्रहालय सह पुस्तकालय के भवनों के अंदर महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगायी गयी है। वहीं वर्तमान समय में यहां 8426 सचित्र पांडुलिपियां, एक हजार दुर्लभ मुगलकालीन चित्र, दो सौ प्राचीन पालकालीन मूर्तियों सहित एक हजार प्राचीन पंचमार्क के सिक्के तथा दस हजार मुद्रित पुस्तकें विराजमान हैं। इस पुस्तकालय सह संग्रहालय में 780 एडी .में ताड़ के पत्ते पर लिखी गयी महाभारत ब्रह्मिलिपि का उदाहरण है। हजारों वर्ष पूर्व अरबी भाषा में लिखी गयी स्वर्णचित्रित शाहनामा की मूलप्रति यहां मौजूद हैं। इसके अलावे यहां स्वर्णचित्रित सिकन्दरनामा में सोने व नीलम का समायोजन दिखाई पड़ता है। दूसरी ओर अकबर के समकालीन नवरत्नों में से एक बसावन द्वारा चित्रित साधु की पेंटिंग के अलावे 1200 एडी में कौवे के पंख पर निर्मित मानव युगल चित्र व 800 एडी की पीपल के पत्ते पर आलिंगन की स्थिति में स्त्री-पुरुष की चित्र है। स्वर्णचित्रित गीतगोविंद, गुलचिराग, त्रिपुटसुन्दरी पट्टलम् के साथ प्राचीन मुगलकालीन शाहजहां से लेकर फरुखशाह तक का दस्तावेज यहां सुरक्षित है जबकि गांधीजी के द्वारा स्वहस्तलिखित 30 पत्रक भी उपलब्ध हैं जो स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाती रहती है। पुस्तकालय सह संग्रहालय में सूर्य, विष्णु, उमा महेश्वर तथा गणेश की पाषाणकालीन प्रतिमाएं, सिक्के, मृदभांड, कास्य प्रतिमाएं, मृण्मुर्तियां तथा अभिलेख मौजूद है। जिनमे अधिकांश मूर्तियां 8 वीं से 12 वीं सदी की अर्थात पालकालीन हैं वहीं सूर्य की प्रतिमा से बोध होता है कि समस्त देव प्रतिमाओं में सूर्य ही एक मात्र देवता हैं जिन्हें पैरो में जूता पहने हुये दिखाया गया है। शंख, चक्र, गदा एवं पदम् से अलंकृत विष्णु की प्रतिमा में पैरों के दोनों ओर एक पुरुष व एक महिला का अंकन है जिसे चक्र पुरुष व गदा देवी के रूप में जाना जाता है। वहीं पंचमार्क सिक्के के अलावे गुप्तकालीन स्वर्ण सिक्के संग्रहालय की शोभा बढ़ाती है जो बिडले ही संग्रहालयों में देखने को मिलते हैं जबकि यहां मौजूद मध्यकालीन पांडुलिपियों के साथ मध्यकालीन सिक्के इतिहासकारों व पुरातत्वविदों को हमेशा आकर्षित करती रही है। पुस्तकालय सह संग्रहालय के बारे में सचिव धु्रपद नारायण ने बताया कि इसकी ख्याति काफी बढ़ चुकी है। यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में कई राज्यों व निकटवर्ती इलाके के अलावे देश के विभिन्न कोने से लोग इसे देखने के लिये पहुंचते हैं जिसे देखते हुये मैं सरकार से यथाशीघ्र इस धरोहर को बौद्ध सर्किट से जोड़ने व पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने की मांग किया हूं। वहीं लाइब्रेरी सह पुस्तकालय के कार्यकारणी अध्यक्ष सह पालीगंज के एसडीओ सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि प्रत्येक माह में एक बार यहां कार्यकारणी की बैठक होती है इस दौरान महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा होती है तथा बैठक में इसके विकास हेतु लिये गये निर्णयों के अनुसार कार्य भी कराई जाती है। उन्होंने बताया कि इसे विकसित करने के लिये हर संभव प्रयास जारी है।

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