पंद्रह सौ साल पहले हुआ था कर्बला के मैदान में दुनिया का सबसे बड़ा जुल्म-इमरान गणी

फुलवारीशरीफ | मुस्लिम विद्वान और अधिवक्ता इमरान गणी ने कहा की बुनियादी रूप से दीन (इस्लाम) में अच्छे कार्यों का मार्गदर्शन किया गया है और बुरे कार्यों से बचने व रोकने के तरीके बताए गए हैं | इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम के दसवी तारीख को हजरत इमाम हुसैन धर्म की रक्षा करते हुए कर्बला में शहीद हुए थे | इस दिन ही इस्लाम धर्म के लोग हजरत इमाम हुसैन की याद में मुहर्रम का मातम मनाते हैं |इस दिन मुस्लिम संप्रदाय के लोग ताजिए निकाले जाते हैं। लकड़ी, बांस व रंग-बिरंगे कागज से सुसज्जित ये ताजिए हजरत इमाम हुसैन के मकबरे के प्रतीक माने जाते हैं । इसी मातमी जुलूस में इमाम हुसैन के सैन्य बल के प्रतीक स्वरूप अनेक शस्त्रों के साथ युद्ध की कलाबाजियां दिखाते हुए लोग चलते हैं । मुहर्रम के जुलूस में इमाम हुसैन के प्रति अपनी संवेदना दर्शाने के लिए शोक-धुन बजाते हैं और शोक गीत (मर्सिया) गाते हैं । शोकाकुल होकर विलाप करते हैं और अपनी छाती पीटते हैं। इसी प्रकार इमाम हुसैन की शहादत को याद किया जाता है ।

जब दीन (इस्लाम) को मोहम्मद साहब ने फैलाना शुरू किया, तब अरब के लगभग सभी कबीलों ने मोहम्मद की बात मानकर अल्लाह का दीन कबूल कर लिया |मोहम्मद के साथ मिले कबीलों की तादाद देखकर उस समय मोहम्मद के दुश्मन भी मोहम्मद साहब के साथ आ मिले लेकिन अपने दिलों में दुश्मनी रखे रहे | आठ जून, 632 ई. को पैगम्बर मोहम्मद के देहांत के बाद ये दुश्मन यजिद धीरे-धीरे हावी होने लगे | यजीद जो कहे उसे इस्लाम में शामिल करें और जो वह इस्लाम से हटाने को कहे वह इस्लाम से हटा दें | मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन ने याजिद का इस्लाम में छेड़छाड़ का विरोध किया तो दुश्मन मोहम्मद के पूरे परिवार को खत्म करने की योजना बना डाली | लाख दबाव के बाद भी इमाम हुसैन ने याजिद की किसी भी बात को मानने से इनकार कर दिया तो यजीद ने इमाम हुसैन को कत्ल करने की योजना बनाई |10 अक्टूबर, 680 ई. को सुबह नमाज के समय से ही जंग छिड़ गई | इसे जंग नही कहा जाए तो ज्यादा ठीक लगेगा क्योंकि एक ओर लाखों की फौज थी तो दूसरी तरफ हजरत मोहम्मद के परिवार के चंद लोग | इमाम हुसैन के साथ केवल 75 या 80 मर्द थे, जिसमें 6 महीने से लेकर 13 साल तक के बच्चे भी शामिल थे | इस्लाम की बुनियाद बचाने में कर्बला में 72 लोग शहीद हो गए, जिनमें दुश्मनों ने छह महीने के बच्चे अली असगर के गले पर तीन नोक वाला तीर मारा, 13 साल के बच्चे हजरत कासिम को जिन्दा रहते घोड़ों की टापों से रौंद डलवाया और सात साल आठ महीने के बच्चे औन-मोहम्मद के सिर पर तलवार से वार कर उसे शहीद कर दिया | इमाम हुसैन की शहादत के बाद दुश्मनों ने इमाम के खेमे भी जला दिए और परिवार की औरतों व बीमार मर्दों व बच्चों को बंधक बना लिया | जो लोग अजादारी (मोहर्रम) मनाते हैं और इमाम हुसैन की कुर्बानियों को याद करते हैं | मुहर्रम मातम मनाने और इस्लाम धर्म की रक्षा करने वाले हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने का दिन है | मुहर्रम के महीने में मुसलमान शोक मनाते हैं और अपनी हर खुशी का त्‍याग कर देते हैं | करीब पंद्रह सौ साल पहले ईराक के शहर कर्बला के मैदान में दुनिया का सबसे बड़ा जुल्म ढाया गया था | इस जुल्म में हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार के महिलाएं व छः महीने के बच्चो तक को यजिद के फ़ौज ने निर्ममतापूर्वक पहले प्यासे तड़पाया फिर क़त्ल ए आम कर दिया गया |

About Post Author

You may have missed