भागलपुर में बीते सात वर्षों में ट्रैफिक थाने में एक भी एफआइआर दर्ज नहीं किये गये

भागलपुर। सूबे के भागलपुर जिले में एक ऐसा थाना भी लोगों के लिये है। जहां एफआइआर दर्ज नहीं होती है। इस संबंध में बताया गया कि जिले के कोतवाली थाना परिसर स्थित ट्रैफिक थाना खुले आठ वर्ष हो चुके लेकिन बीते वर्षों में अब तक इस थाने में एक भी एफआइआर रजिस्टर्ड नहीं किये गये लेकिन अब एसएसपी आशीष भारती के आदेश के बाद इसका आठ वर्षों का वनवास टूटने वाला है। उन्होंने थाने में एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दे दिया ट्रैफिक डीएसपी रत्न किशोर झा को दे दिया है। इस बात को लेकर ट्रैफिक थाने में एफआइआर दर्ज नहीं होने का मुद्दा जिले के लोगों ने प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद तत्कालीन एसएसपी मनोज कुमार ने थाने में जल्द एफआइआर दर्ज करने का आश्वासन दिया था। लेकिन उनके तबादले के बाद अब एसएसपी आशीष भारती ने एफआइआर दर्ज करने का आदेश जारी कर चुके हैं। ज्ञात हो कि भागलपुर जिले के ट्रैफिक थाने की नींव वर्ष 2011 में पड़ी थी। इसी वर्ष भागलपुर में ट्रैफिक थाने की अधिसूचना मुख्यालय से जारी की गयी थी। जहां डीएसपी रैंक के पदाधिकारी सहित एक इंस्पेक्टर, एक सार्जेंट, एक सार्जेंट मेजर, छह एसआइ, छह एएसआइ जैसे अधिकारी और पदाधिकारी का पद स्वीकृत किये गये। इसके अलावे थाने में 12 हवलदार, 30 सिपाही, चार चालक सिपाही और वायरलेस आॅपरेटर का पद स्वीकृत हंै। ज्ञात हो कि ट्रैफिक कंट्रोल के लिये थाना खोलकर कुछ संसाधन तो उपलब्ध करा दिये गये वहीं थाने को अब तक एफआइआर की शक्ति नहीं दी गयी थी। इस कारण जिस थाना क्षेत्र में ट्रैफिक नियम तोड़ने के बाद कार्रवाई का मामला होता है उससे संबंधित थाने में ही इसका मामला दर्ज किया जाता रहा। जुगाड़ पर व्यवस्थाएं चल रही थी। इस थाने में वर्ष 2011 से अब तक आधा दर्जनों थानेदार बदल दिये गये लेकिन शक्ति नहीं रहने के कारण एफआइआर दर्ज नहीं हो सकी। ट्रैफिक थाना खोलने का उद्देश्य के बारे में बताया गया कि इससे जुड़े सारे मामले इसी थाने में दर्ज होते। इसके अलावे अन्य थानों से इस ट्रैफिक से जुड़ी समस्याओं को अलग करना था मगर ट्रैफिक मामले में भी कोई समस्या उत्पन्न हो तो उसे दूसरे थानों की मदद लेनी होती है। वहीं ट्रैफिक थाना अभी कोतवाली परिसर के एक जर्जर भवन में किसी तरह जैसे-तैसे चलायी जा रही है। जहां अफसरों को बैठने के लिये स्थान तक नहीं है। इसके अलावे यहां ट्रेंड जवानों की भी घोर कमी है।

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