फाइलेरिया उन्मूलन के लिए आज से बिहार के 22 जिलों में शुरू हुआ एमडीए कार्यक्रम

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिए समुदाय की भागेदारी बहुत आवश्यक


पटना। किसी भी कार्यक्रम की सफलता के लिए समुदाय की भागेदारी की बहुत आवश्यकता होती है आईये, हम सब मिलकर फाइलेरिया रोग का उन्मूलन करके स्वस्थ व समृद्ध बिहार की परिकल्पना को साकार करें। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम का उदघाटन करते हुए यह विचार प्रकट किया।

फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिए बिहार में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी), मास्क व हाथों की सफाई का अनुपालन करते हुए समुदाय को फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए राज्य के 22 जिलों अररिया, बांका, बेगूसराय, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, भागलपुर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, जमुई, कैमूर, कटिहार, खगड़िया, मधेपुरा, मुंगेर, मुज्जफरपुर, पटना, सहरसा, सारण, सीतामढ़ी, सीवान और सुपौल में शुरू किए जा रहे फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का उद्घाटन सोमवार राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने स्वयं फाइलेरिया रोधी दवाएं खाकर किया। स्वास्थ्य मंत्री ने कई लाभार्थियों को अपने सामने कटोरी माध्यम से फाइलेरिया रोधी दवाएं भी खिलवाई।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य व विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयत्नशील है और सभी की स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु वचनबद्ध भी है। इस कठिन कोरोना काल के समय में भी दूसरी स्वास्थ्य योजनाओं और इनके उन्मूलन के लिए निरंतर कार्यक्रम चला रही है।

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एमडीए के महत्व को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान भी राज्य के 22 जिलो में एमडीए कार्यक्रम संपन्न कराने का फैसला लिया है। इस कार्यक्रम के तहत सात करोड़ 56 लाख लोगों तक फाइलेरिया रोधी दवाएं कटोरी विधि से खिलाई जाएगी।

उन्होंने कोविड-19 की सभी सुरक्षा सावधानियों (स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी) को अपनाने के महत्व पर बल दिया, साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि फाइलेरिया प्रभावित जिलों में सभी पात्र लाभार्थी, फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य कर्मियों के सामने करें, ये दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान मैं स्वास्थ्यकर्मियों को सुझाव देना चाहूंगा कि आप दवा खिलाने के दौरान एक परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को इस तरह प्रेरित करें कि वह फाइलेरिया कार्यक्रम के लिए वालंटियर की तरह कार्य करने लगे। उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मात दी है।

बिहार की जनता ने दिखाया है कि किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमारी को मात देने के लिए सामुदायिक भागीदारी कैसे होती है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सबकी सहभागिता से राज्य से फाइलेरिया बीमारी का उन्मूलन भी शीघ्र होगा े इसके साथ ही उन्होंने जनप्रतिनिधियों से भी अनुरोध किया कि वे अपने क्षेत्रों में लोगों को इस कार्यक्रम के बारे में और अधिक जागरूक करें े

राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक, संजय कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव, रोग देश के 16 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों मेेंं असामान्य सूजन होती है।

फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे: हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों में सूजन) और दूधिया सफेद पेशाब (काईलूरिया) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक भेदभाव सहना पड़ता है,जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है े फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल भी खिलाई जाती है।

जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है जो सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है े अगर हर लाभार्थी वर्ष मे एक बार पांच साल तक लगातार फाइलेरिया रोधी दवा खा लेता है तो फाइलेरिया उन्मूलन संभव है े हम सब हर स्तर पर यह प्रयास करें कि लोगों का इस कार्यक्रम के प्रति सकारात्मक रूप से व्यवहार परिवर्तन हो े

कार्यक्रम के समापन में अपर निदेशक, एनवीबीडीसीपी, डॉ. अंजनी कुमार ने कहा कि राज्य स्तर से ब्लॉक स्तर तक कार्यक्रम को सफल बनाए के लिए सारी तैयारी की जा चुकी है। किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु रेपिड रेस्पॉन्स टीम का भी गठन किया गया है।

इस अवसर पर एनवीबीडीसीपी, भारत सरकार, स्वास्थ्य सेवाएं बिहार, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार के अधिकारी और अन्य सहयोगी संस्थाओं व विश्व स्वास्थ्य संगठन, केयर, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार, लेप्रा, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। राज्य के 22 जिलों के अधिकारियों ने भी वर्चुअल रूप से भाग लिया।

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