सर्वार्थ सिद्धि योग के सुयोग में गुरु पूर्णिमा शनिवार को, श्रीहरि व गुरु की होगी पूजा, स्नान-दान की पूर्णिमा भी कल

पटना। कल आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा, जिसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सबसे उत्तम योग सर्वार्थ सिद्धि योग का पुण्यकारी संयोग बन रहा है। यह पर्व गुरु के प्रति सम्मान व कृतज्ञता का प्रतीक होता है। सनातन धर्म में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। गुरु कृपा से ही शांति, आंनद और मोक्ष प्राप्त होता है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में होता है। इसी दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग में गुरु पूर्णिमा
भारतीय ज्योतिष विज्ञान के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि कल उत्तराषाढ़ नक्षत्र व सर्वार्थ सिद्धि योग के युग्म संयोग में आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा यानि गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जायेगा। पूर्णिमा तिथि सुबह 07:49 बजे तक ही है। पूर्णिमा में सूर्योदय होने के कारण पूरे दिन गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जायेगा। स्नान-दान की पूर्णिमा भी कल ही मनायी जाएगी। वृन्दावन का फूल बंगला महोत्सव कल समाप्त होगा। इस योग में पूजा, जप, तप करने से इसका फल जल्द मिलता है। इसके साथ ही मनोरथ भी सिद्ध होता है।
वेद व्यास के सम्मान में व्यास पूर्णिमा
पंडित झा ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।
मंगलकारी होगी श्रीहरि की पूजा
गुरू पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करता था तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी शक्ति सामथ्यार्नुसार दक्षिणा देकर कृतकृत्य होता था। आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। इसी दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करके मंदिरों में श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं। पंडित झा के कहा कि आषाढ़ के पूर्णिमा में भगवान सत्यनारायण की पूजन, शंख पूजन के बाद शंख ध्वनि से घरों में सुख-समृद्धि का आगमन एवं निरोग काया की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
व्यास के अंश होते हैं गुरु
ज्योतिषी झा के अनुसार अपने गुरु की स्मृति को मन मंदिर में हमेशा ताजा बनाए रखने के लिए हमें इस दिन अपने गुरुओं को व्यासजी का अंश मानकर उनकी पाद-पूजा करनी चाहिए तथा अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए गुरु का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। न केवल अपने गुरु-शिक्षक का ही नहीं, अपितु माता-पिता, बड़े भाई-बहन आदि की भी पूजा करे एवं उपहार देकर आशीर्वाद लेनी चाहिए। गुरु का आशीर्वाद सभी-छोटे-बड़े तथा हर विद्यार्थी के लिए कल्याणकारी तथा ज्ञानवर्द्धक होता है। गुरु पूजन में “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरु: साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम:॥ मंत्र से पूजा करने से गुरु का आशीष मिलता है।
भगवत व गुरु पूजन का शुभ मुहूर्त
गुली काल मुहूर्त : प्रात: 05:13 बजे से 06:54 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : सुबह 06:54 बजे से 08:35 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:29 बजे से 12:23 बजे तक
लाभ मुहूर्त : दोपहर 01:37 बजे से 03:17 बजे तक
अमृत मुहूर्त : शाम 03:17 बजे से 04:58 बजे तक

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