22 जून से शुरू होगा आर्द्रा नक्षत्र, 6 जुलाई तक रहेगा विद्यमान

पटना। ज्योतिष शास्त्र व हमारी जीवन में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करना बहुत ही उत्तम माना गया है। सूर्य को आरोग्य के कारक, ऊर्जा व प्रकाश के प्रतीक, जीवन में उम्मीद के संवाहक, संसार की आत्मा के संज्ञा दी गयी है। ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व होता है। विशेषकर सूर्य की आर्द्रा नक्षत्र में उपस्थिति होने से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। आर्द्रा नक्षत्र उत्तर दिशा के स्वामी तथा इस नक्षत्र का स्वामी राहु होते हैं। 27 नक्षत्रों में यह छठा नक्षत्र है, जो मृगशिरा के बाद एवं पुनर्वसु नक्षत्र के पहले आता है।
22 जून से 6 जुलाई तक आर्द्रा नक्षत्र
आचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि 22 जून (बुधवार) को सौभाग्य योग के साथ आषाढ़ कृष्ण नवमी में रात्रि 07:13 बजे सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। आर्द्रा नक्षत्र शुरू होने के साथ ही घरों में विशेष रूप से खीर, दाल वाली पुरी बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाकर ग्रहण करते हैं। आरोग्यता पाने के लिए विशेष रूप से आम भी खाया जाता है। आषाढ़ शुक्ल सप्तमी बुधवार 6 जुलाई की रात्रि 08:38 बजे तक यह नक्षत्र रहेगा। यह नक्षत्र जितने दिन रहता है, इसमें बरसात की अधिक संभावना रहती है। इससे खेती पर अच्छा असर पड़ता है। इसी नक्षत्र से ही मानसूनी वृष्टि की शुरूआत होती है।
खीर के सेवन से मिलेगी आरोग्यता
ज्योतिषी झा ने पौराणिक कथाओं के हवाले से बताया कि प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर के आर्द्रा नक्षत्र में रहने पर महिलाएं खासकर अपने संतान की आरोगयता के लिए स्वयं खीर बनाकर उन्हें खिलाती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस नक्षत्र में हुई बारिश में स्नान करने से चर्मरोग, सनबर्न, खुजली जैसी बीमारियों से राहत मिलती है।
27 नक्षत्रों में कृषि प्रधान नक्षत्र है आर्द्रा
यह नक्षत्र आकाशमंडल में मणि के समान दिखाई देता है। वामन पुराण के अनुसार नक्षत्र पुरुष भगवान नारायण के केशों में आर्द्रा नक्षत्र का निवास है। महाभारत के शांतिपर्व के अनुसार जगत को तपाने वाले सूर्य, अग्नि व चंद्रमा की जो किरणें प्रकाशित होती हैं, सब जगतनियंता के केश हैं। यही कारण है कि आर्द्रा नक्षत्र को जीवनदायी कहा जाता है। कृषि कार्य की शुरूआत इसी नक्षत्र में होने के कारण यह नक्षत्र सर्वाधिक लोकप्रिय है।
उत्तम वृष्टि के आसार
ज्योतिषी राकेश झा ने कहा कि आर्द्रा नक्षत्र से लेकर आगामी 10 नक्षत्र यानि हस्त नक्षत्र तक वर्षा के लिए अनुकूल समयावधि माना गया है। वर्षा का यह क्रम स्वाति नक्षत्र तक चलता है। 22 जून को आर्द्रा प्रवेश के फल में सामान्य से लेकर बहुत अच्छी वृष्टि होने के योग बन रहे हैं। बुध-शुक्र की युति उत्तम वर्षा करा देगा। जुलाई के प्रथम सप्ताह में झमाझम बारिश के पूर्ण योग हैं।

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