19 से गूंजेगी शहनाई, 8 को देवोत्थान एकादशी से खत्म होगा चतुर्मास

सूर्य के वृश्चिक राशि में गोचर से खत्म होगा खरमास, शुरू होंगे शुभ मांगलिक कार्य

शास्त्रों में शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं । इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।

19 से बनेंगे विवाह के शुभ योग, गूंजेगी शहनाई

कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि 8 को देवोत्थान एकादशी से चातुर्मास खत्म हो जाएगा। इसके खत्म होते ही हिन्दुओं के सभी शुभ कार्यों आरंभ हो जाएंगे। सूर्य के कर्क राशि से 17 नवंबर दिन रविवार को दोपहर 12:21 बजे वृश्चिक राशि में प्रवेश करने के साथ ही वैवाहिक कार्य का सिलसिला भी आरंभ हो जाएगा। 19 नवंबर से लेकर 12 दिसंबर तक मिथिला पंचाग के अनुसार पूरे 12वीं बनारसी पंचांग के मुताबिक 15 शुभ वैवाहिक लग्न मुहूर्त है। उन्होंने बताया कि सूर्य के कर्क राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो रहा है। इस गोचर के बाद से हिंदुओं के सभी शुभ कार्य, जैसे शादी-विवाह, उपनयन, मुंडन और गृह प्रवेश आदि शुरू हो जाएंगे।

ऐसे तय होते हैं शुभ लग्न-मुहूर्त

पंडित झा ने कहा कि शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है। वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक जा रहना जरूरी है। अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। उन्होंने ने बताया कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा। तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।

शुभ मुहूर्त के लिए ये है जरूरी

ज्योतिषी पंडित झा ने पंचागों के हवाले से बताया कि शादी के शुभ मुहूर्त के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु तथा मीन लग्न में से किसी एक का रहना जरूरी है I वहीं रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भाद्र, उत्तरा आषाढ़ में एक नक्षत्र कि उपस्थिति अनिवार्य है। सर्व उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा और हस्त नक्षत्र का रहना जरूरी है।

इस वर्ष के वैवाहिक शुभ मुहूर्त

बनारसी पंचाग (महावीर पंचाग) के अनुसार

नवंबर: 19,20,21,22,23,24,25,28,29,30 = 10
दिसंबर: 5, 6, 7, 11, 12 = 5

मिथिला पंचाग (विश्वविद्यालय पंचांग) के मुताबिक

नवंबर: 20, 22, 24, 27, 28, 29 = 6
दिसंबर: 1, 2, 6, 8, 11, 12 = 6

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