बिहार चुनाव : राजनीतिक दलों पर नहीं पड़ा सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का असर, फिर पकड़ा पुरानी प्रथा का चलन

CENTRAL DESK : बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का कोई असर नहीं पड़ा है। राजनीतिक दलों ने टिकट देने में एक बार फिर अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है, ऐसा हम नहीं बल्कि एडीआर की रिपोर्ट कह रही है। रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य यह है कि पहले चरण में 1,064 उम्मीदवारों में से 30 प्रतिशत से अधिक ने हलफनामे में आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। ऐसे में यह कहने में कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बिहार में एक बार फिर बाहुबल पर चुनाव लड़ा जा रहा है या फिर बिहार चुनाव बाहुबल पर टिकी है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार 28 अक्टूबर को बिहार में होने जा रहे पहले चरण के चुनाव में 1,064 उम्मीदवार मैदान में उतर रहे हैं, जिसमें से 30 प्रतिशत से अधिक ने हलफनामे में आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। रिपोर्ट के अनुसार, वहीं 23 प्रतिशत या 244 उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। गंभीर आपराधिक मामले पांच साल से अधिक की सजा के साथ ही गैर-जमानती अपराध हैं।
एडीआर के मुताबिक, करीब 328 या 31 प्रतिशत उम्मीदवारों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। रिपोर्ट के अनुसार कुल 375 या 35 फीसदी ने अपनी वित्तीय संपत्ति करोड़ों रुपये बताई है, जबकि पांच उम्मीदवारों ने शून्य संपत्ति घोषित की है। उसके अनुसार विश्लेषण किए गए राजद के 41 उम्मीदवारों में से 30 (73 फीसदी) ने हलफनामे में अपने खिलाफ आपराधिक मामले और 22 (54 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के विश्लेषण किए गए 29 उम्मीदवारों में से 21 (72 फीसदी) ने हलफनामे में अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की सूचना दी हैं और 13 (45 फीसदी) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। कांग्रेस के 21 उम्मीदवारों में से लगभग 12 (57 प्रतिशत), जदयू के 35 उम्मीदवारों में से 15 (43 प्रतिशत) और बसपा के 26 में से 8 उम्मीदवारों (31 प्रतिशत) ने हलफनामे में अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषण किए गए कांग्रेस के 21 उम्मीदवारों में से नौ (43 प्रतिशत), जदयू के 35 उम्मीदवारों में से 10 (29 प्रतिशत) और बसपा के 26 उम्मीदवारों में से पांच (19 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। उसके अनुसार 29 उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिनमें से तीन ने उनके खिलाफ बलात्कार से जुड़े मामले दर्ज होने की घोषणा की है।
इस सदर्भ में एडीआर और ‘नेशनल इलेक्शन वॉच के संस्थापक सदस्य एवं ट्रस्टी जगदीप छोकर ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई असर नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होंने फिर से टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया और लगभग 31 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। बता दें बिहार में पहले चरण में 28 अक्टूबर को 71 सीटों, दूसरे चरण में 3 नवंबर को 94 सीटों और तीसरे चरण में सात नवंबर को 78 सीटों पर मतदान होगा। जबकि परिणाम 10 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

About Post Author

You may have missed