नक्सली विचारों को बंदूक से नहीं बल्कि उन्हें सकारात्मक विचारों से ही मार सकते हैं: डीजीपी

पटना। लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो (आरओबी), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, पटना तथा गृह मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में पटना स्थित केंद्रीय कार्यालय परिसर कर्पूरी ठाकुर सदन में आरओबी के लोक एवं पारंपरिक कलाकारों के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे ने विधिवत रूप से किया। उद्घाटन सत्र की शुरूआत पद्मश्री सम्मानित डॉ. शान्ति जैन की एक भारत श्रेष्ठ भारत पर रचित गीत से की गई। मौके पर एसएसबी, पटना के आईजी संजय कुमार, बिहार के डीआईजी (एसटीएफ) विनय कुमार, सीआरपीएफ पटना के कमांडेंट मुन्ना कुमार सिंह, पद्मश्री सम्मानित डॉ. शांति जैन सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।


उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डीजीपी ने कहा कि हमें नक्सली इलाकों में लोगों के विचारों से लड़ना है। हम विचारों को बंदूक से नहीं मार सकते, बल्कि हम उनके विचारों को अपने सकारात्मक विचारों से ही मार सकते हैं। हमें नक्सलवाद के समर्थकों के बीलीफ को बदलना है। आरओबी द्वारा इन नक्सली इलाकों में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों, जिनके माध्यम से सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचायी जानी है, वह सशक्त व कारगर माध्यम है, जो नक्सलवाद के समर्थकों के विचार को बदलने का काम करेगा। उन्होनें आगे कहा कि नक्सलवाद पूरे भारत के लिए एक लंबे समय से समस्या रही है। लेकिन अगर हम आज के दौर में देखें तो बिहार में अब नक्सल बहुत बड़ी समस्या नहीं रह गई है। जहां बिहार में पहले माले, पार्टी यूनिटी और एमसीसी जैसे संगठन नक्सली वारदातों को अंजाम देते थे और जिसके नक्सली आतंकों को बिहार ने लंबे समय तक झेला है, वहीं आज केवल सीपीआई (माओवादी) ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो नक्सली कार्यों में संलिप्त है।
श्री पांडे ने आरओबी के अपर महानिदेशक को आग्रह करते हुए कहा कि बिहार के वे चार अति नक्सल प्रभावित जिले जहां पर अभी की योजना गीत एवं नाटक के माध्यम से छोटे-छोटे ब्लॉकों में कार्यक्रम करने की है, उन जिला मुख्यालयों में आने वाले समय में चार बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के बड़े कार्यक्रमों के माध्यम से बदलाव का एक बड़ा संदेश जाएगा। यह पहल निश्चित ही दूरगामी साबित होगी। नक्सलवाद की समस्या से हम संयुक्त प्रयास से इसपर काबू पा सकते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आरओबी के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि बिहार के चार जिलों गया, जमुई, लखीसराय और औरंगाबाद. के 28 जगहों पर विभाग के 250 से अधिक कलाकार भारत सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। हम इन माध्यमों से इन क्षेत्रों से रह रहे खासकर युवाओं को सही दिशा में लाने का प्रयास करेंगे।
बिहार के डीआईजी (एसटीएफ) विनय कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि विकास का नहीं होना और समाजिक कुरितियां ही नक्सल की बड़ी वजह है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का इम्प्लीमेंटेशन गैप भी नक्सलवाद की एक वजह है। हालांकि आज बिहार के अति नक्सल क्षेत्र 06 से घटकर मात्र 04 रह गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि नक्सली इलाकों में लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी नहीं होती है। इन इलाकों में गीत एवं नाटक के माध्यम से कार्यक्रमों को पहुंचाया जाना उपयोगी सिद्ध होगी। कार्यशाला को एसएसबी के आईजी संजय कुमार, सीआरपीएफ के कमांडेंट मुन्ना कुमार सिंह, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के संयुक्त सचिव दयानंद मिश्रा ने भी संबोधित किया।

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