उद्यमिता मॉडल से पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी का करें विकास : गिरिराज सिंह

फुलवारी शरीफ। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सभागार में शनिवार को बिहार राज्य के पशुपालन और मत्स्य संसाधन विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के अध्यक्षता में आयोजित की गयी। बैठक में केंद्र द्वारा अनुदान प्राप्त पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी के क्षेत्र विभिन्न योजनओं पर चर्चा की गयी तथा विभागों द्वारा किये गए कार्यों का पॉवर पार्इंट द्वारा प्रेजेंटेशन दिया गया।
घोंघा पालन एक बेहतर व्यापार
मत्स्यपालन पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार में बहुत काम किया जाना है। मत्स्य पालन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इनलैंड फिशरीज में किस-किस स्पेसिस को आगे ले जा सकते हैं, इस पर कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने घोंघा पालन को एक बेहतर व्यापार का अवसर बताते हुए कहा कि देश में घोंघा का कोई हैचरी सिस्टम नहीं है लेकिन आज भी गरीब वर्ग के लिए ये प्रोटीन का बहुत बड़ा श्रोत है, जिस पर काम किया जा सकता है।


ज्यादा से ज्यादा एम्ब्रोयो निकालने पर जोर
कृत्रिम गर्भदान और एम्ब्रोयो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी पर कहा कि हम कम लागत पर बेहतर परिणाम कैसे पाएं, इस पर रिसर्च करने की जरुरत है। टारगेट निर्धारित करें कि हम कितना एम्ब्रोयो निकाल सकते हैं, पर सबसे पहले प्रशिक्षण दिलाना जरुरी है। कहा कि पारा-वेट डॉक्टर के नेतृत्व में काम करने और ज्यादा से ज्यादा एम्ब्रोयो निकालने पर जोर दिया जाये। राज्य में बायो-टेक्नोलॉजी के छात्र बेरोजगार हैं उनको इस काम में लगायें। बिहार में दो लैब दिया गया है। अगर बिहार के सभी जिलों को बांट दिया जाये इन दो लैब में तो चलंत प्रक्रिया को अपनाकर फील्ड से एम्ब्रोयो पिक करने के बाद इनक्यूबेटर के मदद से ट्रांसपोर्टेशन कर लैब तक लाया जा सकता है। टीकाकरण पर उन्होंने कहा कि मुंहपका और खुर के बीमारियों के लिए भारत सरकार द्वारा युद्धस्तर पर काम हो रहा है और बिहार ने इस ओर बेहतर काम किया है। उन्होंने चारों की कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि हरे चारे जिसमें साईंलेज, मोरिंगा, सुगरकैन ग्रास के पैदावार को बढ़ाने की जरुरत है।
वेटलैंड में मत्स्य पालन को बढ़ावा दें
मात्स्यिकी के विकास पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के वेटलैंड में बहुत ताकत है। वेटलैंड में मत्स्य पालन को बढ़ावा दें और प्रोडक्शन पर इंसेंटिव दें ताकि प्रोडक्शन को बढाया जा सके। केज कल्चर को भी बढ़ावा देने की जरुरत है। केंद्रीय मंत्री ने एनिमल हेल्थ केयर, सेक्स शोर्टेड सीमेन और एनीमल हेल्थकेयर के लिए कॉल सेंटर की स्थापना पर विशेष जोर दिया।
ये रहे मौजूद
बैठक में बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी, सचिव डॉ. एन. सरवण कुमार, विशेष सचिव सह निदेशक मत्स्यपालन धर्मेन्द्र सिंह, प्रबंध निदेशक-कॉम्फेड शिखा श्रीवास्तव, निदेशक पशुपालन डॉ. विनोद सिंह गुंजियाल, संयुक्त सचिव मत्स्य निशात अहमद, विशेष सचिव केशवेन्द्र कुमार, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह, निदेशक अनुसंधान डॉ. रविन्द्र कुमार, कुलसचिव डॉ. सतीश गर्ग, डीन बिहार वेटरनरी कॉलेज डॉ. जेके प्रसाद, निदेशक छात्र कल्याण डॉ. रमण त्रिवेदी आदि मौजूद थे।

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