अनुराधा नक्षत्र में भाई दूज सोमवार को, प्रात: 9:11 बजे के बाद होगी पूजा

चित्रगुप्त पूजा व पंच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भी कल


पटना। स्नेह, सौहार्द व प्रीति का प्रतीक यम द्वितीय यानि भैया दूज दीपोत्सव के अंतिम दिन यानि कल कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा उपरांत द्वितीया सोमवार को अनुराधा नक्षत्र में मनाया जाएगा। बहनें व्रत, पूजा, कथा आदि कर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और उनके माथे पर तिलक लगाती हैं। इसके बदले भाई भी उनकी रक्षा का संकल्प लेते हुए उपहार देते हैं। यह त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही महत्व रखता है। सोमवार प्रात: 8:52 बजे तक राहु काल रहेगा तथा द्वितीया तिथि की शुरूआत 09:11 बजे से हो रही है, इसीलिए बहनें इसके बाद पूजा या भाई को टीका करेंगी।
भाई की सलामती हेतु बहनें रखेंगी व्रत
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि जहां बहने अपने भाई के लिए भाई दूज का पर्व मनाएंगी, वहीं कायस्थ समुदाय के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा पूरे विधि विधान से मनाएंगे। इस दिन यमुना नदी में स्नान कर श्रद्धालु यम का तर्पण एवं गोवर्धन देव की पूजन करेंगे। पंडित झा ने स्कन्द पुराण का हवाला देते हुए कहा कि इस दिन भाई को बहन के घर भोजन करना और उन्हें उपहार देना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से यम के दुष्प्रभाव भी कम हो जाता है। भैया दूज कल प्रात: 09:11 बजे से द्वितीया तिथि शुरू होगा। इसीलिए भाई दूज का पर्व इसके बाद मनाया जाएगा। बहन अपने भाईयों को दीर्घायु, सुख, समृद्धि, यश, विद्या के लिए यमराज एवं उनके दूतों की पूजा करती है।
चौमुख दीपक से दूर होंगे तम
पंडित झा ने कहा कि बहन सायंकाल गोधूलि बेला में यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती है, जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है। इससे मान्यता है कि भाई के प्राण की रक्षा होती है। भाई का चतुर्दिक विकास होता है। दैहिक, दैविक और भौतिक संतापों से भाई की सुरक्षा होती है। दीपक प्रकाश देते हुए सभी प्रकार के तम को दूर करता है। इस प्रकार यह पर्व बहुत ही श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। भाई बहन का यह पर्व दीपों के पर्व का उपसंहार है।
भाई दूज की पौराणिक कथा
ज्योतिषी पंडित झा के अनुसार भगवान सूर्य की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ल का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
भाई दूज पूजन शुभ मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11:13 बजे से 11:56 बजे तक
गुली काल मुहूर्त : दोपहर 12:56 बजे से 02:17 बजे तक
शुभ मुहूर्त : मध्याह्न काल 12:56 बजे से शाम 03:06 बजे तक

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