श्रवण नक्षत्र व सिद्ध योग के संयोग में विश्वकर्मा पूजा शुक्रवार को, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त
पटना। शुक्रवार को भाद्रपद शुक्ल एकादशी को सिद्ध योग के साथ श्रवण नक्षत्र में देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जायेगी। कल कर्मा-धर्मा एकादशी व्रत के साथ सूर्य कन्या राशि में गोचर भी करेंगे। इस पुण्य योग निर्माण के देवता की आराधना से सब कार्य जल्द सिद्ध होंगे। सृष्टि के सभी भौतिक सुविधाओं के जनक भगवान विश्वकर्मा ही हैं, इसीलिए आज के दिन कल-कारखाने, फैक्टरी एवं शिल्प निर्माण के कार्य क्षेत्र परिसर में इनकी विधि-विधान से पूजा होती है। इसी दिन निर्माण के देवता विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। विश्वकर्मा को देवशिल्पी यानी देवताओं के वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है।
श्रवण नक्षत्र व सिद्ध योग में विश्वकर्मा पूजा
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि कल भाद्रपद शुक्ल एकादशी को श्रवण नक्षत्र व सिद्ध योग के पुण्य संयोग में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी। इस बार पूजा में सिद्ध योग के होने से पुण्यप्रद संयोग बन रहा है। इस योग में विश्वकर्मा की पूजा करने से रोजी-रोजगार, कारोबार, नौकरी-पेशा में उन्नति होती है। इसके साथ ही इस दिन गणपति तथा भगवान शिव की आराधना से इनकी विशेष अनुकंपा की प्राप्ति होगी।
निर्माण के देवता है भगवान विश्वकर्मा
पंडित झा ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा ने सतयुग में स्वर्ग लोक, त्रेता युग में लंका, द्वापर में द्वारिका और कलयुग में हस्तिनापुर की रचना किये हैं। यहां तक कि सुदामापुरी का निर्माण भी उन्होंने ही किया। ऐसे में यह पूजा उन लोगों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है, जो कलाकार, बुनकर, शिल्पकार और व्यापारी हैं। इस दिन ज्यादातर कल-कारखाने बंद रहते हैं और लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्म लिए थे।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
ज्योतिषी राकेश झा के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार, वास्तुशास्त्र का देवता, देवताओं का इंजीनियर और ‘मशीन का देवता’ कहा जाता है। विष्णु पुराण में विश्वकर्मा को ‘देव बढ़ई’ कहा गया है। विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में दिन-दूनी, रात चौगुनी वृद्धि होती है, साथ ही माता लक्ष्मी के आगमन के आसार में भी वृद्धि होती है।
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त
संक्रांति काल मुहूर्त : प्रात: 05:54 बजे से 09:00 बजे तक
गुली काल मुहूर्त : सुबह 07:09 बजे से 08:41 बजे तक
अमृत मुहूर्त : सुबह 08:14 बजे से 10:12 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:19 बजे से 12:08 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 11:44 बजे से 01:15 बजे तक