अर्द्धनारीश्वर की पूजा कर मनी सावन की तीसरी सोमवारी

  • अश्लेषा नक्षत्र व वरीयान योग में हुई शिव-पार्वती की आराधना

पटना। श्रावण शुक्ल प्रतिपदा को सावन का तीसरा और शुक्ल पक्ष का पहला सोमवार अश्लेषा नक्षत्र एवं वरीयान योग में मनाया गया। श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ की अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में विधिवत पूजा-अर्चना किया। अपनी कामनाओं की पूर्ति हेतु विविध पदार्थों से शिवार्चन कर स्तुति पाठ भी किया गया। अखंड सौभाग्य, आयु वृद्धि, संतान प्राप्ति में परेशानी से मुक्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह में सफलता, अकाल मृत्यु की डर से निवारण एवं आकस्मिक धन लाभ हेतु शिव भक्तों ने महादेव की पूजा अनुष्ठान, रुद्राभिषेक, शिवार्चन किया। कुंडली में चंद्र को बलिष्ठ तथा रोगों से भी छुटकारा पाने के लिए शिव की उपासना निराहार और फलाहार रख कर श्रद्धालुओं ने किया। सुख, सौभाग्य तथा सकल मनोरथ की पूर्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप तथा शिव पुराण का पाठन हुआ।
अश्लेषा नक्षत्र के सुयोग में मनी तीसरी सोमवारी
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि तीसरा सोमवारी अश्लेषा नक्षत्र एवं वरीयान योग के युग्म संयोग में मनाई गयी। रुद्राभिषेक, पार्थिव पूजन, शिव चर्चा, स्तुति पाठ कर भोलेनाथ को प्रसन्न कर अपनी कामना पूर्ण का वर मांगा। धार्मिक मान्यता है कि इस योग में किया गया कार्य निर्विघ्न सफल होता है। महादेव की पूजा के बाद स्तुति व प्रार्थना करने से स्वास्थ्य लाभ तथा मनोरथ पूर्ण होंगे। भगवान शिव की भक्ति इस योग में करने से नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास होता है। वैवाहिक सुख में सुगमता हेतु गंगाजल में हल्दी तथा गाय के दूध में केसर डालकर रुद्रार्चन किया। अखंड सुहाग की कामना से माता पार्वती को वस्त्र तथा श्रृंगार की सामग्री अर्पण किया।

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