हेमंत सोरेन की औपबंधिक जमानत याचिका खारिज, चाचा के अंतिम संस्कार में शामिल होने को मांगी थी अनुमति

रांची। झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने अपने बड़े चाचा राजाराम सोरेन के अंतिम संस्कार और श्राद्ध में शामिल नहीं हो पाएंगे। पीएमएलए कोर्ट ने अंतरिम बेल की उनकी याचिका नामंजूर कर दी है। सोरेन ने आज ही कोर्ट में लगाई गई याचिका में कहा कि उनके चाचा राजाराम सोरेन का 27 अप्रैल को निधन हो गया। उन्हें उनके अंतिम संस्कार और श्राद्ध में भाग लेने की अनुमति दी जाए। इसके लिए उन्होंने 13 दिनों की अंतरिम जमानत की गुहार लगाई थी। बता दें कि झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन के बड़े भाई राजाराम सोरेन का शनिवार सुबह उनके रांची स्थित आवास पर निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। उनका अंतिम संस्कार संभवतः रामगढ़ जिला स्थित उनके पैतृक गांव नेमरा में होगा।
हेमंत सोरेन बिरसा मुंडा होटवार जेल में हैं बंद
बता दें, हेमंत सोरेन इससे पहले भी अंतरिम जमानत को लेकर याचिका दायर कर चुके हैं। बीते दिनों इस मामले में पीएमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई थी जिसमें ईडी ने अपने पक्ष में कहा कि उन्हें अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया जाए। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 1 मई का समय तय किया है। फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रांची के बिरसा मुंडा होटवार जेल में बंद हैं। 31 जनवरी को ईडी ने उन्हें बड़गाई अंचल के 8.5 एकड़ जमीन के अवैध खरीद बिक्री मामले में गिरफ्तार किया था।
पहले भी जमानत याचिका लगा चुके हैं सोरेन
पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने इससे पहले 16 अप्रैल को पीएमएलए (धनशोधन रोकथाम कानून) की विशेष अदालत के सामने जमानत याचिका दायर की थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित थी और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी। इस पर जवाब देने के लिए कोर्ट ने ईडी को एक सप्ताह का समय दिया था। इसके बाद 23 अप्रैल को जब याचिका पर सुनवाई हुई तो ईडी ने इस जमानत याचिका पर जवाब देने के लिए दो और सप्ताह का समय मांग लिया। जिसका विरोध सोरेन के वकीलों ने किया और दावा किया कि जांच एजेंसी जानबूझकर जमानत में देरी कराना चाहती है ताकि पूर्व मुख्यमंत्री जेल से बाहर आकर चुनाव प्रचार न कर सकें। हालांकि इसके बाद भी कोर्ट ने ईडी को एक सप्ताह का समय और दे दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 मई को होगी।
हाईकोर्ट द्वारा फैसला ना सुनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए
हेमंत सोरेन ने 24 अप्रैल (बुधवार) को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए अदालत को बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की ओर से की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर उच्च न्यायालय फैसला नहीं सुना रहा है। सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका पर 28 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं सुनाया गया है। जिसके बाद न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि वह याचिका को सूचीबद्ध करने पर कुछ नहीं कह सकते और प्रधान न्यायाधीश का सचिवालय याचिका को सूचीबद्ध करने की तारीख देगा।

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