सिद्ध योग में महिलाएं 21 अगस्त को करेंगी हरितालिका तीज व्रत, जाने पूजन का शुभ मुहूर्त

अखंड सौभाग्य की कामना हेतु निर्जला व्रत रखकर करेंगी शिव-पार्वती की विधिवत पूजा
पटना। सुहागिन महिलाओं के अखंड सुहाग के लिए किया जाने वाला हरितालिका तीज व्रत 21 अगस्त (शुक्रवार) को भाद्रपद शुक्ल तृतीया के सिद्ध योग में मनाया जाएगा। तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत-उपवास रखती हैं। तीज का व्रत रखने से विवाहित स्त्रियों के पति की उम्र लंबी होती है। शिव के समान पति की कामना के लिए इस व्रत को कुंवारी लड़कियां भी पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं। इस दिन पूजा में मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर उसे वेदोक्त मंत्रों से विधिवत पूजा की जाती है। भगवान विष्णु वराह अवतार के रूप में इसी दिन अवतरित हुए थे।
अखंड सुहाग के लिए सिद्ध योग में तीज
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि इस बार तीज का पर्व काफी सुखद संयोग लेकर आया है। तृतीया तिथि 21 अगस्त (मंगलवार) को सूर्योदय से लेकर मध्यरात्रि 01:59 बजे तक है। इस बार प्रतिपदा एवं द्वितीया तिथि एक ही दिन होने से भाद्रपद शुक्ल के दूसरे दिन ही तृतीया होने से इस व्रत को 21 को मनाया जाएगा। इस दिन ग्रह-गोचरों का युग्म संयोग भी बन रहा है। भाद्रपद शुक्ल तृतीया को उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र, शुक्रवार दिन, तैतिल करण के साथ सिद्ध योग का अति पुण्यप्रद संयोग बन रहा है। इस पुण्य योग में व्रत करने से अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि, निरोग काया एवं पति की चिरायु का आशीर्वाद मिलता है। तीज व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होगी तथा शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान भी देंगे।
तपस्या और निष्ठा का व्रत
पंडित झा ने लिंग पुराण के हवाले से बताया कि माता पार्वती ने वन में जाकर शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए अन्न तथा जल ग्रहण किये बगैर सालों तक तप करती रही, तब शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किए थे। महिलाएं इस व्रत को तपस्या और निष्ठा के साथ करेंगी तो सात जन्मों तक शिव स्वरूप में उनके वही पति मिलेंगे।
त्रेता युग से हरितालिका तीज व्रत की परंपरा
ज्योतिषी झा के अनुसार हरितालिका तीज व्रत की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है। माता पार्वती ने पहली बार शिव-पार्वती की बालुकामयी प्रतिमा बनाकर पूजा की थी। आज भी महिलाएं मिट्टी से भोलेनाथ-गौरी की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करती हैं। पूरे दिन निराहार या फलाहार रहकर पूरे विधि-विधान से पूजा कर कथा श्रवण करती हैं।
संतान की दीघार्यु के लिए चौथचंद्र (चउरचन) व्रत 22 को
पंडित झा ने कहा कि बिहार में खासकर मिथिलांचल के प्रसिद्ध त्योहार चौथचंद्र (चउरचन) व्रत 22 अगस्त को रवियोग में मनाया जाएगा। श्रद्धालु संतान के दीर्घायु, आरोग्य एवं निष्कलंक के लिए ऋतुफल, दही तथा पकवान हाथ में लेकर चंद्र दर्शन करते हैं। इस दिन चन्द्रमा के पूजन एवं अर्घ्य देने से मनोविकार से मुक्ति, आरोग्यता, ऐश्वर्य, संतान के दीर्घायु होने का वरदान मिलता है। इसी दिन गणेश भगवान ने चन्द्रमा को श्राप मुक्त करके शीतलता एवं सौंदर्य का वरदान दिए थे।
हरितालिका तीज पूजन शुभ मुहूर्त
उद्या तिथि के अनुसार : सूर्योदय से रात्रि 09:59 बजे तक
प्रदोष मुहूर्त : शाम 06:54 बजे से रात्रि 09:06 बजे तक
गुली काल मुहूर्त : प्रात: 07:03 बजे से 08:39 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:27 बजे से 12:18 बजे तक
राशि के अनुसार करें तीज पूजा
मेष – शिव जी को पंचामृत से स्नान के बाद रेशमी वस्त्र अर्पित करें।
वृष – शिव-पार्वती के पूजा में गुलाब का पुष्प व इत्र अर्पण कर धूप दिखाएं।
मिथुन व मीन – हरा वस्त्र धारण कर पूजा में मां पार्वती को हल्दी व भोलेनाथ को सफेद चंदन अर्पित करें।
कर्क – पूजा के बाद शिव का श्रृंगार तथा ॐ नम: शिवाय का जाप श्रेयस्कर होगा।
सिंह – शिव-पार्वती को पीत पुष्प का हार चढ़ाकर रुद्राष्टकम का पाठ करें।
कन्या – शिव जी को बेलपत्र और दूर्वा चढ़ाए क मेहंदी जरूर लगाएं।
तुला – महादेव को पंचामृत से स्नान करावे और साथ ही श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें क
वृश्चिक – पीला वस्त्र धारण करके शिव-पार्वती की आराधना और पूजा करे साथ ही दूर्वा अर्पित करें।
धनु – लाल वस्त्र धारण कर पूजा में शिव-पार्वती को सुगन्धित पुष्प अर्पित करें।
मकर – भगवान शिव को सफेद चंदन तथा घी का दीपक प्रज्वलित करें।
कुंभ – गुलाबी वस्त्र धारण कर पूजा में महादेव को श्वेत पुष्प अर्पित करें।

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