सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार केवल प्रख्यात समाजसेवी ही बन सकतें हैं मुख्य सूचना आयुक्त,लंबित है प्रक्रिया

पटना।बिहार सरकार द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 15 के तहत राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में फैसला शीघ्र होने वाला है।इस पद के संदर्भ में सरकार द्वारा प्रकाशित विज्ञापन के आलोक में निर्दिष्ट अहर्ता रखने वाले विभिन्न क्षेत्र एवं सेवाओं से जुड़े हस्तियों ने आवेदन समर्पित कर दिया है।राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के द्वारा प्राप्त आवेदनों पर विचार कर राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति संबंधी निर्णय लिया जाएगा। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार इस बार इन महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा जारी किए गए निर्देशों का अनुपालन में अनिवार्य है। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने पुनर्विचार याचिका( सी) 2309/2012 भारत सरकार बनाम नमिता शर्मा में दिनांक 03.09. 2013 को पारित न्यायाधीश की कंडिका 32 के आलोक में मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्त से जुड़े पदों पर नियुक्ति के संदर्भ में व्याख्या देते हुए स्पष्ट किया है कि केवल समाज में प्रख्यात व्यक्ति नियुक्त होंगे।सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश के अनुसार सेवानिवृत्त नौकरशाह अथवा किसी राजनीतिक पद में रह चुके व्यक्ति जिनका समाज सेवा के क्षेत्र में कोई विशिष्ट योगदान ना रहा हो वैसे लोग इन महत्वपूर्ण पदों के पात्र नहीं समझा जाएंगे। देखा गया है कि अक्सर ऐसे पदों पर सेवानिवृत्त नौकरशाह अथवा सत्ता से जुड़े खास व्यक्ति को भी नियुक्त कर दिया जाता रहा है। मगर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश के अनुसार इस बार इन पदों पर वैसे ही लोगों के नियुक्ति की जाएंगी जिनका समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा हो। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को उपरोक्त पदों के संदर्भ में लगभग 4 दर्जन से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं जिन पर मंथन किया जा रहा है विभागीय सूत्रों के अनुसार नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाएगी।

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