भयंकर कुपोषण से जूझ रहा बिहार, राज्य की 63 फ़ीसदी महिलाएं और 59 फ़ीसदी बच्चे कुपोषित

पटना। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार पटना जिले की 15 से 49 आयुवर्ग की 63.7 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं। जबकि इसी उम्र के सामान्य महिलाओं का प्रतिशत 67.3 है। 2015-16 में 40.7 फीसदी और 58 फीसदी था। वहीं जिले के 65.4 प्रतिशत छः माह से पांच वर्ष तक के बच्चे भी कुपोषण का दंश झेल रहे हैं। एनएफएचएस-4 (2015-16) में यह आंकड़ा 51.6 फीसदी था। यदि राज्य की बात करें तो बिहार में 63.1 फीसदी गर्भवती महिलाएं एवं 69.4 फीसदी बच्चे कुपोषण से जूझ रही हैं। वहीं इसी आयु वर्ग की 63.6 फीसदी सामान्य महिलाएं कुपोषित हैं। वही सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी कुपोषण को खत्म करने की कई चुनौतियां सामने आती रही हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कुपोषण से लड़ने के लिए मार्च 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की गई। कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए पोषण अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पांच सूत्र बताए गए हैं। इस पर ध्यान देने से कुपोषण से निजात मिल सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक पहले 1000 दिनों में तेजी से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। जिसमें गर्भावस्था की अवधि से लेकर बच्चे के जन्म से 2 साल तक की उम्र तक की अवधि शामिल है। इस दौरान बेहतर स्वास्थ्य, पर्याप्त पोषण, प्यार भरा एवं तनाव मुक्त माहौल तथा सही देखभाल बच्चों के पूर्ण विकास में सहयोगी होता है।
पौष्टिक आहार और डायरिया प्रबंधन करना भी बेहद अहम
शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले 6 माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। छह माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। घर का बना गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। शिशुओं में डायरिया शिशु मृत्यु का कारण भी बनता है। 6 माह तक के बच्चों के लिए केवल स्तनपान डायरिया से बचाव करता है। साफ-सफाई एवं स्वच्छ भोजन डायरिया से बचाव करता है। डायरिया होने पर लगातार ओआरएस का घोल एवं 14 दिन तक जिंक देना चाहिए। वही गर्भवती माता, किशोरियों एवं बच्चों में एनीमिया की रोकथाम जरूरी है। गर्भवती महिला को 180 दिन तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। 10 वर्ष से 19 साल की किशोरियों को सप्ताह में सरकार द्वारा दी जाने वाली आयरन की एक नीली गोली का सेवन करना चाहिए।

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