गुरुवार से 14 जनवरी तक खरमास, शुभ मांगलिक कार्य पर लगा विराम

  • सूर्य के धनु राशि में गोचर करने से लगा खरमास

पटना। हिन्दू धर्मावलंबियों के खास मास खरमास आज मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी गुरुवार से शुरू हो रहा है। इसके साथ ही शुभ कार्यों, मांगलिक कार्यों पर महीने भर का विराम लग जाएगा। फिर अगले महीने 14 जनवरी पौष शुक्ल द्वादशी दिन शुक्रवार को सूर्य के मकर राशि में गोचर करने के बाद खरमास समाप्त हो जायेगा। इस दिन से शुभ मांगलिक कार्य शुरू होंगे। खरमास में पितृकर्म, पिंडदान का खास महत्व है। खरमास में भगवान विष्णु की पूजा फलदायी होती है और जातक भू-लोक पर सभी सांसारिक सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक धाम में निवास करता है। खरमास अवधि में धार्मिक अनुष्ठान करने से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश से लगा खरमास
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचागों के हवाले से बताया कि गुरूवार दोपहर 02:27 बजे सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से खरमास लग रहा है। सूर्य के इस राशि परिवर्तन से खरमास यानी अशुद्ध मास का आरंभ हो जाएगा। सूर्य ही संक्रांति व लग्न के राजा माने जाते हैं। फिर 14 जनवरी के रात में 08:34 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास समाप्त हो जाएगा। रात्रि काल में राशि परिवर्तन होने से कारण इसका पुण्यकाल 15 जनवरी को मध्याह्न काल तक रहेगा। संक्रांति का स्नान-दान, खिचड़ी का त्योहार 15 को ही मनाया जाएगा। मीन संक्रांति एवं गुरु के अस्त होने से इस बार मार्च महीने से शादी-विवाह नहीं होंगे।
भगवान श्रीहरि की पूजा फलदायी
ज्योतिषी झा के मुताबिक खरमास में कोई भी शुभ मांगलिक आयोजन नहीं होते है। विवाह, नये घर में गृह प्रवेश, नये वाहन की खरीदी, संपत्तियों का क्रय विक्रय, मुंडन संस्कार जैसे अनेक शुभ कार्य वर्जित होते हैं। खरमास 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खत्म हो जाएगा। सूर्य, गुरु की राशि धनु एवं मीन राशि में प्रवेश करता है तो इससे गुरु का प्रभाव समाप्त हो जाता है। शुभ मांगलिक कार्यों के लिए गुरु का पूर्ण बली अवस्था में होना आवश्यक है। कहा जाता है कि इस दौरान सूर्य मलिन अवस्था में रहता है, इसलिए इस एक माह की अवधि में किसी भी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। खासकर इस समय विवाह संस्कार तो बिलकुल नहीं किए जाते हैं क्योंकि विवाह के लिए सूर्य और गुरु दोनों को मजबूत होना चाहिए।
गुरु-शुक्र-रवि की शुभता है जरूरी
पंडित राकेश झा ने कहा कि शास्त्रों में शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं। इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है। एक शुभ लग्न मुहूर्त बनाने के लिए मास, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण को बारीकी से मिलाने के बाद ही तय होता है क शुभ लग्न व मुहूर्त शादी करने से दाम्पत्य जीवन सरल तथा मधुर होता है।
शादी-विवाह के शुभ लग्न मुहूर्त
मिथिला पंचांग के अनुसार
जनवरी : 23, 24, 27
फरवरी: 2, 6, 7, 10, 11
अप्रैल: 17, 20, 21, 22, 24, 25, 27, 28
मई: 2, 9, 11, 12, 13, 18, 20, 22, 25, 26, 27, 30
जून: 1, 5, 6, 9, 10, 13, 19, 22, 23, 24, 26
जुलाई: 3, 4, 6, 8
बनारसी पंचांग के मुताबिक
जनवरी : 15, 20, 22, 23, 25, 27, 28, 29, 30,31
फरवरी: 5, 6, 9, 10, 16, 17, 18, 19

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