दिल्ली में सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ी, भ्रष्टाचार मामले में एसीबी ने भेजा समन, 20 को पूछताछ के लिए बुलाया

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षा निर्माण से जुड़ा एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला इन दिनों सुर्खियों में है। इस कथित घोटाले के केंद्र में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व लोक निर्माण विभाग मंत्री सत्येंद्र जैन हैं। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने इस मामले में कार्रवाई तेज करते हुए सिसोदिया को दोबारा समन जारी किया है और उन्हें 20 जून को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
पहले भी बुलाया गया था, पेश नहीं हुए सिसोदिया
इससे पहले 9 जून को एसीबी ने मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए तलब किया था। लेकिन उन्होंने पूर्व निर्धारित व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देते हुए पेश होने से इनकार कर दिया था। इसके बाद एसीबी ने दोबारा उन्हें समन भेजा है। अप्रैल माह में एसीबी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए करीब 12,748 कक्षाओं और भवनों के निर्माण में अनियमितताओं का आरोप है।
सत्येंद्र जैन से हो चुकी है पूछताछ
इस मामले में एसीबी ने 6 जून को सत्येंद्र जैन से करीब पांच घंटे पूछताछ की थी। पूछताछ के बाद जैन ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने की बजाय निजी स्कूलों की फीस बढ़ाने में लगी है। उन्होंने दावा किया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में बेहतरीन स्कूल बनाए हैं, लेकिन भाजपा इन सफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए राजनीतिक षड्यंत्र कर रही है।
क्या हैं आरोप और घोटाले का दावा?
यह मामला वर्ष 2018 में उठाया गया था, जब भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना और कपिल मिश्रा ने आरटीआई के जरिए मिली जानकारियों के आधार पर शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने 2,892 करोड़ रुपये की लागत से 12,748 कक्षाओं के निर्माण में भारी घोटाला किया। जबकि इतनी बड़ी राशि में इन कक्षाओं का निर्माण कम लागत में संभव था। रिपोर्ट के अनुसार, एक कक्षा के निर्माण में 24.86 लाख रुपये का खर्च दिखाया गया, जबकि आमतौर पर यह खर्च करीब 5 लाख रुपये प्रति कक्षा होता है।
सीवीसी की रिपोर्ट और टेंडर प्रक्रिया पर सवाल
इस पूरे प्रकरण में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की मुख्य तकनीकी परीक्षक रिपोर्ट ने भी कई गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना के लिए सलाहकार और वास्तुकारों की नियुक्ति बिना टेंडर प्रक्रिया के की गई और उनकी मदद से लागत में वृद्धि करवाई गई। आरोप यह भी है कि इस रिपोर्ट को तीन वर्षों तक सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया और दबा कर रखा।
ठेकेदारों और आम आदमी पार्टी से संबंध का आरोप
यह भी आरोप है कि इस निर्माण कार्य का ठेका 34 ठेकेदारों को दिया गया था, जिनमें से अधिकतर आम आदमी पार्टी से कथित तौर पर जुड़े हुए थे। इसके बावजूद, तय समय पर कोई भी निर्माण कार्य पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ और लागत भी बढ़ती चली गई। इसके अतिरिक्त आरोप लगाया गया कि निर्माण में सेमी-पक्का संरचना का प्रयोग किया गया, जिसकी उम्र केवल 30 साल होती है, जबकि आरसीसी कक्षा की उम्र करीब 75 साल मानी जाती है।
जांच का दायरा बढ़ा, नेताओं की मुश्किलें बढ़ीं
इस घोटाले में एसीबी की जांच अब तेज हो गई है और पूर्व मंत्रियों को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। राजनीतिक स्तर पर इस मामले को लेकर दोनों पक्षों में आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। आम आदमी पार्टी इसे बदले की राजनीति बता रही है, जबकि भाजपा इसे दिल्ली के करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग बताकर कार्रवाई की मांग कर रही है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि इस जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं।
