सावन की दूसरी सोमवारी : रुद्राभिषेक व पार्थिव पूजन कर भक्त हुए निहाल, हर हर महादेव के जयघोष से गूंजा आकाश

पटना। शिव के प्रिय सावन मास में पूरा सनातन समाज भोले की भक्ति में लीन है। श्रावण मास की दूसरी सोमवारी पर शिव भक्तों ने मंदिर एवं शिवालय बंद होने के कारण घरों में ही भगवान भोलेनाथ का विधिवत रुद्राभिषेक तो कही पार्थिव पूजन किया। कोरोना के कारण मंदिरो में सिर्फ पुजारीगण ही शिवार्चन तथा संध्या काल में शिव-पार्वती का श्रृंगार पूजा किए। मंदिरों में आकर्षक सजावट, फूलों की लड़ियां, विद्युत बल्ब की चकाचौंध और जगमगाती रौशनी से पूरा शिवालय शोभायमान हो गया था। ऐसा लग रहा था कि मानों पूरा कैलाश आज भूलोक पर अवतरित हो गया हो।
ग्रह-गोचरों के महासंयोग में मनी दूसरी सोमवारी
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि श्रावण कृष्ण नवमी पर कृत्तिका नक्षत्र, वृद्धि योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना था। इसके साथ ही निर्माण योग और बुधादित्य योग का भी संयोग रहा। इस पुण्यकारी योग पर श्रद्धालुओं ने भगवान शंकर की पूजा आराधना में कोई कसर नहीं छोड़ा। यथासंभव रूद्र का अभिषेक, श्रृंगार, शिव महिम्न, रुद्राष्टक, शिव पंचाक्षर, लिंगाष्टक, शिव तांडव आदि स्त्रोत्र का पाठ तथा अपनी अभिष्ट कामना की पूर्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी किया। विविध कामनाओं की पूर्ति हेतु विविध सामग्रियों से शिव की पूजा-अर्चना की गयी।
सीमित संसाधनों में शिव की आराधना
कोरोना काल को लेकर सभी सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हैं, इसीलिए मंदिरों को भी बंद रखा गया है। ऐसे में सावन के दूसरे सोमवार पर शिव भक्तों ने अपने आराध्य की पूजा सीमित संसाधनों में ही कर रहे हैं। जलार्पण, दुग्धाभिषेक, गन्ना-अनार के रस, चंदन, भस्म, पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतूरा, इत्र, धुप-दीप से भोले भंडारी की पूजा किया। ॐ नम: शिवाय, हर हर महादेव, बोलबम आदि मंत्रो से पूरा गली-मुहल्ला गुंजायमान रहा। कई श्रद्धालुओं ने निर्जला, फलाहार उपवास तो किसी ने पूजा के बाद अन्न, जल ग्रहण किया। धार्मिक मान्यता है कि कुंवारी कन्या को सोमवार का व्रत करने से सुयोग्य जीवनसाथी मिलता है।

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