सिद्ध योग में सतुआनी कल, शनिवार को खरमास समाप्त होने का साथ ही मनाया जाएगा जुड़शीतल का पर्व

पटना। ग्रह-गोचरों की दुनिया में वैशाख कृष्ण नवमी 14 अप्रैल को बड़ा हलचल होने वाला है। उस दिन ग्रहों के अधिपति सूर्यदेव उत्तराषाढ़ नक्षत्र और सिद्ध योग में मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे। वही सूर्य के मेष राशि में गोचर को मेष संक्रांति कहा जाता है। वही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में सतुआनी और 15 अप्रैल को जुड़शीतल का पर्व मनाया जाएगा। इसके साथ ही पिछले एक महीने से चला आ रहा खरमास भी समाप्त हो जाएगा। वही इस दिन सूर्यदेव की कृपा पाने और पितरों को संतुष्ट करने के लिए सत्तू, गुड़, चना, पंखा, सजल घट, आम, ऋतु फल एवं अन्य दान का विशेष महत्व है। वही लाखों श्रद्धालु स्नान के बाद सत्तू और गुड़ खाएंगे। वैदिक पंडित गजाधर झा के अनुसार इस पावन अवसर पर सत्तू और जलपूर्ण पात्र दान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। सूर्य के मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही ग्रीष्म ऋतु का आरंभ हो जाता है। इसलिए इस मौसम में शरीर को ठंडक देने वाले आहार के सेवन का प्रावधान है। सतुआनी में सत्तू खाने का विधान है। कई जगह इस दिन जौ और चने के सत्तू को आम की चटनी के साथ सेवन का विधान भी है।
मीन से मेष राशि में सूर्यदेव करेंगे गोचर
वही ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि वैशाख कृष्ण नवमी को बनारसी पंचांग के अनुसार शुक्रवार की शाम 4.47 बजे और मिथिला पंचांग के अनुसार शाम 5.26 बजे अश्विनी नक्षत्र के उपस्थिति में सूर्य मीन राशि से मेष राशि में गोचर करेंगे। सनातन धर्मावलंबी इस दिन हरिद्वार, काशी, प्रयागराज संगम व गंगा नदी में स्नान कर दान-पुण्य करेंगे। वही सूर्य संक्रांति के अवसर पर स्नान-पूजा करने के बाद ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः या राम नाम का जप करने से बुद्धि प्रखर एवं तेज होती है।

About Post Author

You may have missed