समस्तीपुर की बेटी अंजलि ने बढ़ाया जिले का मान, विदेश में तैनात होने वाली देश की पहली महिला विंग कमांडर बनी.

समस्तीपुर।(संजय ज्योति)विंग कमांडर अंजलि सिंह देश के सैन्य इतिहास में किसी भी भारतीय मिशन में विदेश में तैनात होनेवाली पहली महिला सैन्य राजनयिक बन गई हैं। मिग-29 लड़ाकू विमान उड़ाने में प्रशिक्षित अंजलि ने 10 सितंबर को रूस के मॉस्को में ‘डिप्टी एयर अताशे’ के रूप में भारतीय दूतावास में पदभार संभाला। अंजलि की इस उपलब्धि से परिवार के साथ-साथ उसके पैतृक गांव में भी खुशी का माहौल है। समस्तीपुर जिले के वारिसनगर प्रखंड के मकसूदपुर की रहने वाली अंजली ने देश के सैन्य इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। वह किसी भी भारतीय मिशन में विदेश में तैनात होने वाली पहली महिला विंग कमांडर बनी है, वह 17 सालों से सैन्य सेवा में है। भले ही ग्रामीण भले ही इसका मतलब या काम नहीं समझते, पर इतना जरूर जानते हैं कि उनके गांव की बेटी अंजलि आज बुलंदियों पर है और इस वजह से मकसूदपुर गांव आज अंतरराष्ट्रीय फलक पर है।भारतीय वायु सेना में नया इतिहास रचने वाली अंजली की इस कामयाबी को लेकर उनके पैतृक गांव में रह रहे उनके भतीजा और भतीजी भी काफी खुश हैं. वो कहते हैं कि सफलता के लिए कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत होती है.

सेना में जाने को पिता से मिली प्रेरणा : फ्लाइट लेफ्टिनेंट से सेवानिवृत्त पिता मदन प्रसाद सिंह को अपना रोल मॉडल मानने वाली 41 वर्षीय अंजलि ने शुरुआती दौर में ही सेना में जाने का संकल्प लिया था। पिता के सानिध्य में रहते हुए जालंधर में प्रारंभिक पढ़ाई की। पिता के नासिक तबादले पर वहां से इंटरमीडिएट कर पूना यूनिवर्सिटी से टेलीकम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की। उत्तर प्रदेश के कोटद्वार में एक प्राइवेट कंपनी में दो वर्षों तक काम किया। वर्ष 2002 में उनका चयन वायुसेना में हुआ। अंजलि ने 17 साल के सैन्य कॅरियर के दौरान लड़ाकू स्क्वाड्रन के साथ सेवा की है।

घर में कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर : अंजलि तीन बहन व एक भाई हैं। बड़ी बहन पुष्पा सिंह पटना में हंिदूी की शिक्षक हैं। दूसरे नंबर पर अंजलि हैं। वर्ष 2010 में उनकी शादी बेगूसराय के महना निवासी इंजीनियर राजकुमार के साथ हुई। आठ साल का बेटा सक्षम है। फिलहाल, सभी मॉस्को में हैं। तीसरे नंबर पर अर्चना इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद पति तरुण कुमार के साथ अमेरिका में शिफ्ट हो गईं। चौथे नंबर पर भाई डॉ. मनीष कुमार सर्जन हैं। वे पिता और परिवार के साथ बेंगलुरु में रहते हैं। इनकी पत्नी स्वाति भी डॉक्टर हैं। डॉ. मनीष कहते हैं कि दीदी शुरू से सामयिक विषयों की समझ रखती थीं। उसकी तार्किक क्षमता हम सभी से बेहतर है। हमेशा मेंटर की भूमिका निभाई। मेरे कॅरियर के लिए हमेशा चिंतित रहीं।

About Post Author

You may have missed