राज्य के सरकारी स्कूलों में प्रधानाध्यापकों की बहाली होगी आसान, परीक्षा से हटेगा माइनस मार्किंग का प्रावधान
पटना। सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की बहाली प्रक्रिया सरल होगी। बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली जा रही परीक्षा में अब माइनस मार्किंग का प्रावधान हट जायेगा। साथ ही परीक्षा की डेढ़ घंटे की समय सीमा में भी बढ़ोतरी होगी। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में बिहार लोक सेवा आयोग को अपनी सिफारिश भेजेगा। विभाग के प्रस्ताव को बिहार लोक सेवा आयोग ने मान लिया तो अगले महीने होने वाली प्रधानाध्यपकों की नियुक्ति परीक्षा में गलत उत्तरों के लिए नंबर नहीं काटे जायेंगे। साथ ही परीक्षार्थियों को डेढ़ घंटे से अधिक समय भी मिल सकेगा। दरअसल विभाग की चिंता पिछले दिनों आयोग की ओर से 6421 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति के लिए ली गई परीक्षा में सिर्फ 421 के ही सफल हो पाने को लेकर है। इस तरह प्रधानाध्यापकों की छह हजार से अधिक रिक्तियां बाकी हैं। ऐसे में बड़े पैमान पर अभ्यर्थियों के असफल हो जाने के कारण आयोग को दोबारा विज्ञापन जारी करना पड़ा है।
नवंबर तक होनी है बहाली
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रधानाध्यापक पद पर बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से चयनित और अनुशंसित अभ्यर्थियों की स्कूलों में नियुक्ति हर हाल में नवंबर अंतिम सप्ताह में हो जायेगी। लोक सेवा आयोग से जरूरी तकनीकी जानकारियां विभाग को मिल चुकी हैं। विभाग चयनित अभ्यर्थियों की काउंसेलिंग कराने के बाद उनकी तैनाती कर देगा।
माइनस मार्किंग को हटाने की तैयारी
शिक्षा विभाग माध्यमिक स्कूलों के प्रधान अध्यापकों की नियुक्ति के लिए पहले से तय परीक्षा स्वरूप में बदलाव करने की अनुशंसा के साथ ही माइनस मार्किंग को हटाना चाहता है। विभागीय मंशा है कि बिहार लोक सेवा आयोग जिस तरह दूसरी परीक्षाएं लेता है, वैसी ही परीक्षा प्रधान अध्यापकों की भी ली। वही विभाग प्रधान अध्यापकों की परीक्षा के समय में भी इजाफा चाहता है। हाल में ली गयी परीक्षा का समय मात्र डेढ़ घंटे था। इसे दो घंटे से अधिक करने का प्रस्ताव है।
केवल तीन फीसदी शिक्षक ही हो सके थे पास
उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पदों पर नियुक्ति के लिए बीते 31 मई को पटना के 25 केंद्रों पर लिखित वस्तुनिष्ठ परीक्षा हुई थी। परीक्षा में 13055 अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन इनमें से 12547 अभ्यर्थी न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स भी प्राप्त नहीं कर पाये थे। 87 अभ्यर्थी तो अपने ओएमआर सीट पर अपना प्रश्न पुस्तिका शृंखला भी ठीक से अंकित नहीं कर पाये थे। इसके कारण उनके ओएमआर सीट का मूल्यांकन ही नहीं हो सका और उन्हें रद्द करना पड़ा।