अग्निपथ योजना के तहत वर्ष में 2 बार होगी अग्निवीरों की भर्ती, अगस्त तक मोर्चा संभालने के लिए तैनात हो जाएगा पहला बैच
नई दिल्ली। सेना की नई भर्ती योजना अग्निपथ के तहत नियुक्त हुए 19000 अग्निवीरों का पहला बैच प्रशिक्षण के बाद इस साल अगस्त महीने में अपनी-अपनी यूनिटों में मोर्चा संभालने के लिए तैनात हो जाएगा। वही 21000 अग्निवीरों के दूसरे बैच की ट्रेनिंग सेना इस साल एक मार्च से शुरू कर देगी और यह दूसरा बैच इसी साल अक्टूबर में अपनी यूनिट में तैनात हो जाएगा। वही बता दे की सेना ने यह भी तय किया है कि 2023 से अब साल में 2 बार मई और नवंबर महीने में अग्निवीरों की भर्ती होगी।
अग्निवीरों का प्रशिक्षण काल 24 से लेकर 31 हफ्ते का
वही अग्निवीरों के पहले बैच की सेना के अलग-अलग यूनिटों में प्रशिक्षण इस वर्ष पहली जनवरी से शुरू हो गई है और सेना ने इनकी ट्रेनिंग के लिए संबंधित ट्रेनिंग यूनिटों में इसके लिए विशेष प्रशिक्षण कोर्स डिजाइन किया है। बता दे की अग्निवीरों का प्रशिक्षण काल 24 से लेकर 31 हफ्ते का है। जो पूर्व में जवानों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण के मुकाबले अपेक्षाकृत छोटा जरूर है मगर कोर्स को इस सघन तरीके से डिजाइन किया गया है कि इनकी सैन्य दक्षता में किसी तरह की कमी न रह जाए।
इसमें 100 महिला अग्निवीरों का पहला बेच भी शामिल
वही इस ट्रेनिंग के बाद अग्निवीर जिस यूनिट में तैनात किए जाएंगे वहां भी उनके काम के अनुरूप 7 हफ्ते की आन जॉब ट्रेनिंग दी जाएगी। मिली जानकरी के अनुसार वर्ष 2022 के लिए 40000 अग्निवीरों की भर्ती के लिए देश भर में 96 भर्ती रैलियां हुईं और 19000 अग्निवीरों के पहले बैच की ट्रेनिंग बेहद उत्साहजनक माहौल में शुरू हो गई है। वही 21000 अग्निवीरों के दूसरे बैच की ट्रेनिंग 1 मार्च से शुरू होगी। जिसमें 100 महिला अग्निवीरों का पहला बैच भी शामिल है। महिला अग्निवीरों का पहला बैच भी अक्टूबर में अपनी यूनिट में डियूटी संभाल लेगा। वही भारतीय सेना को उम्मीद है कि अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया का सिलसिला शुरू होने के बाद अगले कुछ सालों के दौरान भारतीय सेना में सैनिकों की औसत उम्र मौजूदा 32 साल से घटकर 26 साल हो जाएगी। सेना में अग्निवीरों की भर्ती केवल 4 साल के लिए ही है और हर साल भर्ती होने वाले अग्निवीरों में से 4 साल बाद जरूरी मानकों पर खरे उतरने वाले केवल 15 फीसद को ही सेना में बतौर जवान के रूप में स्थायी नियुक्ति मिलेगी।