रामनवमी पर दस साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, मिलेगा शनि की साढ़ेसाती व ढैया से मुक्ति

पटना। भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र व कर्क लग्न में अयोध्या में हुआ था। भगवान राम का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। राम नवमी के दिन सूर्य को जल अर्पण करने के साथ शुरू होता है। मान्यता है कि सूर्य प्रभु श्रीराम के पूर्वज थे। इस दिन पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। चैत्र नवरात्र करने वाले श्रद्धालु इसी दिन कन्या पूजन, हवन और पुष्पांजलि करेंगे। वर्तमान में वृष, कर्क तथा मीन राशि वाले शनि की ढैया तथा कन्या, तुला व वृश्चिक राशि वाले जातक को शनि की साढ़ेसाती चल रही हैं। कन्या राशि वाले को शनिदेव की साढ़ेसाती का अंतिम ढैया, तुला राशि वालों को द्वितीय ढैया तथा वृश्चिक राशि वाले जातकों को प्रथम ढैया चल रहा है। ऐसे में शनिदेव की कृपा प्राप्ति के लिए राम नवमी का दिन श्रेष्ठ होगा ।

कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री के अनुसार चैत्र शुक्ल नवमी के दिन शनिवार को राम नवमी के दिन विशेष पर प्रभु श्रीराम व हनुमान आराधना से उक्त राशि के जातकों को शत्रु शमन, उच्च पद की प्राप्ति, मानसिक शांति, नेतृत्व क्षमता, मनोबल में वृद्धि, संबंधों में मधुरता तथा प्रगति के अवसरों की प्राप्ति के साथ समय की अनुकूलता प्राप्त होगी। 13 अप्रैल को प्रातः 08 :16 बजे के बाद महानवमी या रामनवमी का त्योहार मनाया जाएगा। इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की थी। पंडित झा ने कहा कि दक्षिण संप्रदाय के लोग इस पर्व को कल्याणोत्स्व यानि प्रभु श्रीराम की शादी समारोह के रूप में मनाते है। उनकी मान्यता है कि इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम प्रगाढ़ होते है।

शनि की ढैया और साढ़ेसाती में मिलेगी अनुकूलता

ज्योतिषी पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष 13 अप्रैल दिन शनिवार को रामनवमी रवि-पुष्य नक्षत्र के दिव्य संयोग के साथ आ रही है। करीब 10 वर्षों के बाद ऐसा शुभ संयोग बन रहा है । इस दिन भगवान श्रीराम के साथ हनुमानजी की आराधना करने से शनि की ढैया तथा साढ़ेसाती से प्रभावित जातकों को अनुकूलता प्राप्त होगी।

राशि के अनुसार करे प्रभु श्रीराम का पाठ

मेष- श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ

वृष- श्रीराम स्तुति का पाठ

मिथुन- इंद्रकृत रामस्त्रोत का पाठ

कर्क- श्रीरामाष्टक का पाठ

सिंह- श्रीसीता रामाष्ट्‌कम का पाठ

कन्या- श्रीराम मंगलाशासनम का पाठ

तुला- श्रीराम प्रेमाष्ट्‌कम का पाठ

वृश्चिक- श्रीराम चंद्राष्ट्‌कम का पाठ

धनु- जटायुकृत श्री रामस्त्रोत का पाठ

मकर- आदित्य हृदय स्त्रोत के साथ श्री रामरक्षा स्त्रोत कवच का पाठ

कुंभ- सुंदरकांड के साथ श्रीराम रक्षा कवच का पाठ

मीन- रामचरित मानस के अयोध्या और बालकाण्ड का पाठ

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