बिहार सरकार पर होटल ‘पाटलिपुत्र अशोक’ को बेचने की साजिश का आरोप

पटना ।राष्ट्रीय जनता दल संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व केन्द्रीय मंत्री डाॅ0 रघुवंश प्रसाद सिंह ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि होटल पाटलीपुत्र अशोक 08 दिसम्बर, 1976 से बिहार सरकार की पटना की डेढ़ एकड़ जमीन पर करीब 42 वर्षों से भारत सरकार के पर्यटन विकास निगम द्वारा निरंतर लाभ में संचालित है। 10-12 करोड़ का टर्न ओभर के साथ डेढ़ करोड़ के सलाना लाभ में चल रहा है।
    भारत सरकार ने इस होटल को राज्य सरकार को 13 करोड़ रूपये में देने का निर्णय किया है यह आश्चर्यजनक और चैकानेवाला निर्णय है कि लाभ में चल रहा होटल से केन्द्र क्यों जान छोड़ाना चाहती है।
बिहार सरकार ने भी इस होटल को ले लेने का निर्णय कर सुशील मोदी ने केन्द्र सरकार की ओर से इसे तोहफा की संज्ञा दी है। लोगों में यह चर्चा गर्म हो रही है कि इसे लेकर राज्य सरकार प्राईवेट पार्टी को कौड़ियों के भाव में बेच देगी जिस कारण इस होटल के चलानेवाले 150 अधिकारी और कर्मचारी बेरोजगार हो जायेंगे और उनके लिए रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जायेगी और अप्रैल, 2019 तक करीब 50 शुभ विवाह होने के लिए होटल आरक्षित है उनका क्या होगा? यह अभी तक अनिश्चित है क्योंकि होटल रांची अशोक, होटल ब्रह्मपुत्र गौहार्टी, होटल जनपथ दिल्ली में ऐसा ही हुआ था जिससे तीनों होटलों में ताला लग गया और उसमें कार्यरत सभी अधिकारी और कर्मचारी अपनी रोटी के लिए विभिन्न अदालतों में लड़ रहे हैं।
होटल पाटलीपुत्र अशोक के अधिकारी और कर्मचारी होटल को भविष्य में बेचे जाने के बेरोजगार होने के भयाक्रांत होकर पटना हाईकोर्ट में पी0आई0एल0 के नं0 12294/2018 भी दायर किया और सरकार ने एक माह का समय मांगा। बीच में ही अदालत में सुनवाई होने के लिए निश्चित तिथि के बीच में अफरातफरी में यह निर्णय लिया गया जो न्याय संगत भी नहीं है। लोगों के बीच यह गर्म चर्चा है कि भारत सरकार लाभ में चल रहे होटल को राज्य सरकार के माध्यम से किसी प्राईवेट को बेचना चाहती है। इसमें केन्द्र और राज्य सरकार की मिलीभगत लगती है। यह भी ज्ञातव्य है कि इसी तरह का लाभ वाला होटल अशोक, नयी दिल्ली में और होटल जम्मू अशोक को घाटा लगने के बाद भी केन्द्र चला रहा है क्योंकि राज्य सरकार ने इसे लेने से इन्कार करते हुए केन्द्र के द्वारा यह पर्यटन के हित में चलाने का आग्रह किया। यह भी ज्ञातव्य है कि वर्ष 2001 में केन्द्र ने इस होटल को बेचने का निर्णय किया था जिसे राज्य सरकार के विरोध के कारण टेंडर को रद्द कर दिया गया था।
अतः बिहार सरकार स्पष्ट करे कि इस लाभ में चल रहे होटल को लेकर प्राईवेट के हाथों बेचेगी नहीं और इसे लाभ में चलाने वाले 150 अधिकारी और कर्मचारी का भविष्य सुनिश्चित रहेगा और नहीं हटाया जाने का निर्णय करे साथ ही अप्रैल, 2019 तक विवाहों के लिए आरक्षित होटल की व्यवस्थ झंडूल न हो।
संवाददाता सम्मेलन में आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पी0 के0 चैधरी, प्रदेश महासचिव नन्दू यादव, डाॅ0 पे्रम कुमार गुप्ता, दस्तकार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मदन शर्मा, आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ पटना महानगर के अध्यक्ष उदय यादव, प्रदेश महासचिव कुमार सुन्दरम पोद्दार आदि उपस्थित थे।

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