पहले ‘खस्ताहाल’ फिर ‘हड़ताल’ अब ‘कोमा’ में अस्पताल

पटना।(शोएब कुरैशी) नुक्कड़ संवाद श्रृंखला की नई कड़ी में ‘सदा लोक मंच ‘ ने उदय कुमार लिखित एवं निर्देशित नाटक ‘कोमा’ का प्रदर्शन किया। खगौल स्थित दानापुर रेलवे स्टेशन परिसर में गीत- “पहले से खस्ताहाल, उपर से हड़ताल, कोमा में अस्पताल ” से नाटक की शुरूआत हुई । नाटक में सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा और समुचित इलाज के अभाव में भटकते बेहाल आम जन की समस्याओं को दर्शाया गया । एक तरफ सरकार इलाज की बेहतर सुविधा के तमाम दावे करती है । जोर- शोर से बखान भी करती है । वहीं दूसरी ओर पुर्जा कटाने में दिक्कत, डॉक्टर नदारद , दवाईयों की कमी ,एम्बुलेंस सेवा सही नही ,एमरजेंसी सेवा का अभाव ,आक्सीजन की अनुपलब्धता ,साफ -सफाई में कमी आदि स्थितियाँ तमाम दावों को मुंह चिढाती नजर आती है । 
आम जन विशेषकर गरीबों को बिमारी के दौरान काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । कई मरीज दम तोड़ देते हैं तो कई बाहर से इलाज कराने में भारी कर्ज में डूब जाते हैं । बेबस ,लाचार गरीब मरीजों को साइकिल पर, ठेले  पर  ,कंधे पर ढोने जैसे दृश्य अक्सर देखने को मिल जाते हैं । उपर से अक्सर डाक्टरों, कर्मियों की हड़ताल गरीब मरीजों पर कहर बनकर टूटती है । नाटक स्वास्थ्य सुविधाओं के संदर्भ में ऐसे कई सवाल उठाता है । अस्पताल में बीमार का इलाज होता है यदि अस्पताल ही बीमार हो जाए तो उसका इलाज कौन करे ।कलाकारों में- अशोक गिरी ,विनय विभूति ,शिवम कुमार, उदय कुमार, अमरेंद्र कन्हैया ,कामेश्वर पंडित, राजीव रंजन त्रिपाठी आदि शामिल थे ।

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