दिग्गज गायक पंकज उधास का 72 वर्ष की आयु में निधन, लंबे समय से थे बीमार

नई दिल्ली। मशहूर गजल गायक पंकज उधास का सोमवार को 72 साल की उम्र में निधन हो गया है। सिंगर पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। इसकी जानकारी उनकी बेटी नायाब ने दी है। ये न्यूज पता चलने के बाद म्यूजिक जगत में मातम पसरा हुआ है। पंकज जैसे गजल गायक का यूं दुनिया छोड़ जाना फैंस को गमगीन कर गया है। हर कोई सोशल मीडिया पर नम आंखों से सिंगर को आखिरी श्रद्धांजलि दे रहा है। यह खबर कई लोगों के लिए सदमे की तरह आई है। गायक सोनू निगम उनकी मौत पर प्रतिक्रिया देने वाले पहले लोगों में से थे। पंकज किस बीमारी से जूझ रहे थे इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है। पंकज उधास गजल गायिकी की दुनिया में एक बड़ा नाम थे। उन्हें चिट्ठी आई है गजल से शोहरत मिली। यह गजल 1986 में रिलीज हुई फिल्म नाम में शामिल थी। पंकज ने कई गजलों को अपनी आवाज दी जिनमें ये दिल्लगी, फिर तेरी कहानी याद आई, चले तो कट ही जाएगा और तेरे बिन शामिल है।
जमींदार परिवार में हुआ जन्म
पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। वो अपने तीनों भाइयों में सबसे छोटे थे। उनका परिवार राजकोट के पास चरखाड़ी नाम के एक कस्बे का रहने वाला था। उनके दादा जमींदार थे और भावनगर राज्य के दीवान भी थे। उनके पिता केशुभाई उधास सरकारी कर्मचारी थे, उन्हें इसराज बजाने का बहुत शौक था। वहीं उनकी मां जीतूबेन उधास को गानों का बहुत शौक था। यही वजह थी पंकज उधास समेत उनके दोनों भाइयों का रुझान संगीत की तरफ हमेशा से रहा।
गाने के बदले मिले थे 51 रुपए
पंकज ने कभी नहीं सोचा था कि वो अपना करियर सिंगिंग ने बनाएंगे। उन दिनों भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था। इसी दौरान लता मंगेशकर का ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना रिलीज हुआ था। पंकज को ये गाना बहुत पसंद आया। उन्होंने बिना किसी की मदद से इस गाने को उसी लय और सुर के साथ तैयार किया। एक दिन स्कूल के प्रिंसिपल को पता चला कि वो गायिकी में बेहतर हैं, जिसके बाद उन्हें स्कूल प्रेयर टीम का हेड बना दिया गया। एक बार उनके कॉलोनी में माता रानी की चौकी बैठी थी। रात में आरती-भजन के बाद वहां पर कल्चरल प्रोग्राम होता था। इस दिन पंकज के स्कूल के टीचर आए और उन्होंने कल्चरल प्रोग्राम में पंकज से एक गाने की फरमाइश की। पंकज ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाना गया। उनके इस गीत से वहां बैठे सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। उन्हें खूब वाहवाही भी मिली। दर्शकों से एक आदमी ने खड़े होकर उनके लिए ताली बजाई और इनाम के रूप में उन्हें 51 रुपए दिए।
संगीत एकेडमी से संगीत की पढ़ाई की
पंकज के दोनों भाई मनहर और निर्जल उधास म्यूजिक इंडस्ट्री में जाना-पहचाना नाम हैं। इस घटना के बाद पेरेंट्स को लगा कि पंकज भी अपने भाइयों की तरह म्यूजिक फील्ड में कुछ बेहतर कर सकते हैं, जिसके बाद पेरेंट्स ने उनका एडमिशन राजकोट में संगीत एकेडमी में करा दिया।
काम नहीं मिलने से आहत होकर विदेश गए
वहां पर कोर्स पूरा करने के बाद पंकज कई बड़े स्टेज शो पर परफॉर्मेंस करते थे। वो अपने भाईयों के जैसे ही बालीवुड में जगह बनाने चाहते थे। इसके लिए उन्हें 4 साल का लंबा संघर्ष किया। इसी दौरान उन्हें कोई बड़ा काम नहीं मिला। उन्होंने फिल्म कामना में अपने एक गाने को आवाज दी थी, लेकिन वो फिल्म फ्लॉप हो गई, जिस वजह से उन्हें भी कोई खास पॉपुलैरिटी नहीं मिली। काम नहीं मिलने से दुखी होकर उन्होंने विदेश जाकर रहने का फैसला किया।
चिट्ठी आई है गाने को सुन रो पड़े थे राज कपूर
राजेंद्र कुमार और राज कपूर बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन उन्होंने राज कपूर को अपने घर डिनर पर बुलाया। डिनर करने के बाद उन्होंने पंकज उधास की आवाज में राज कपूर को चिट्ठी आई है, गजल सुनाया, तो वो रो पड़े। उन्होंने कहा कि इस गजल से पंकज को बहुत पॉपुलैरिटी मिलेगी और उनसे बेहतर ये गजल कोई दूसरा नहीं गा सकता। धीरे-धीरे पंकज को गजल गायकी से प्यार हो गया, जिसके लिए उन्होंने उर्दू सीखी। एक बार वो स्टेज परफॉर्मेंस दे रहे थे, जहां वो पहले ही 4-5 गजल गा चुके थे। तभी एक दर्शक उनके पास आ गया और उसने एक गजल की फरमाइश की। उसका बर्ताव पंकज को सही नहीं लगा और उन्होंने गाने से मना कर दिया।
मुस्लिम लड़की से शादी करने पर घरवालों को नहीं थी आपत्ति
पंकज ने 11 फरवरी 1982 को फरीदा से शादी की थी। एक कॉमन फ्रेंड की शादी में दोनों की मुलाकात हुई थी। पंकज को पहली नजर में ही फरीदा पसंद आ गई थीं। उस वक्त वो ग्रेजुएशन कर रहे थे और फरीदा एयर होस्टेस थीं। पहले दोनों में दोस्ती हुई, फिर प्यार। दोनों शादी करना चाहते थे। पंकज के परिवार वालों को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था।

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