14 को रेवती नक्षत्र में मनेगा बसंत पंचमी का त्यौहार, पारंपरिक विधि से होगी मां सरस्वती की पूजा

पटना। इस साल सरस्वती पूजा माघ शुक्ल पंचमी में 14 फरवरी को मनाया जाएगा। यह पर्व विद्या, बुद्धि, ज्ञान, संगीत व कला की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती को समर्पित है। 14 फरवरी को बसंत पंचमी रेवती नक्षत्र और शुभ योग के सुयोग में होगी। इस दिन श्रद्धालु पीले रंग का वस्त्र धारण करते हैं। माघ शुक्ल पंचमी को मां शारदे के साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, नवग्रह, पुस्तक-लेखनी और वाद्य यंत्र की भी पूजा होगी। पूजा के बाद श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाएंगे। प्रभु श्रीकृष्ण ने भी पीतांबर धारण करके सरस्वती माता का पूजन माघ शुक्ल पंचमी को किए थे। पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है जो ज्ञान, धन व शुभता के कर्क माने जाते हैं। पीला रंग शुद्धता, सादगी, निर्मलता व सात्विकता का प्रतीक है। केसरिया या पीला रंग सूर्यदेव, मंगल और देवगुरु बृहस्पति ग्रहों का कारक है तथा उन्हें प्रबुद्ध बनाता है। बसंत पंचमी सरस्वती पूजा के दिन नवजात शिशुओं का पारंपरिक विधि से अक्षरारंभ संस्कार होगा। इसी दिन से उनका विद्या अध्ययन भी शुरू होगा। इस दिन विद्यार्थियों, साधकों, भक्तों व ज्ञान की चाह रखने वाले उपासकों को सिद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन मंत्र दीक्षा, नवजात शिशुओं का अक्षरारंभ, नए रिश्ते का आरंभ, विद्यारंभ व नए कला का शुरुआत करना शुभ माना गया है।

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