नवनियुक्त महिला सब-इंस्पेक्टर्स का उन्मुखीकरण : अरविंद पांडे बोले- क्षमता निर्माण से आम लोगों के बीच पुलिस की छवि सुधारने में मिलेगी मदद

  • बच्चों और महिलाओं के सुरक्षा व अधिकारों को सुनिश्चित करने में महिला पुलिसकर्मियों की भूमिका अहम : नफीसा बिन्ते

पटना। बिहार में अपनी तरह की नयी पहल के तहत बुधवार को यूनिसेफ एवं बिहार पुलिस अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में नवनियुक्त 150 प्रोबेशनरी महिला सब-इंस्पेक्टर्स का बाल संरक्षण एवं महिला सुरक्षा पर उन्मुखीकरण किया गया। यह पहला अवसर है जब यूनिसेफ ने पुलिस के नियमित पाठ्यक्रम में बाल संरक्षण और लैंगिक मुद्दों को संस्थागत बनाने के लिए पुलिस अकादमी के साथ हाथ मिलाया है। राजगीर स्थित बिहार पुलिस अकादमी परिसर में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यशाला में बाल अधिकारों और प्रमुख बाल संरक्षण कानूनों के अलावा सभी प्रतिभागियों को उनके संपर्क में आने वाले बच्चों और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने में पुलिस की विशिष्ट भूमिका के बारे में संवेदीकरण किया गया।
अकादमी के सहायक निदेशक अरविंद कुमार पांडे ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि नए भर्ती किए गए महिला पुलिस अधिकारियों को इस प्रशिक्षण से बच्चों से संबंधित कानूनों को सही ढंग से लागू करने हेतु आवश्यक ज्ञान और कौशल हासिल होगा। पुलिसकर्मियों के क्षमता निर्माण से आम लोगों के बीच पुलिस की छवि सुधारने में मदद मिलेगी। एक सब इंस्पेक्टर पर लगभग 2 लाख आबादी की जिम्मेदारी होती है, इसे देखते हुए सभी 150 प्रतिभागी अधिकारियों द्वारा सम्मिलित रूप से राज्य के 38 जिलों में लगभग 3 करोड़ की आबादी को बेहतर सेवाएं दी जाएंगी।
वहीं यूनिसेफ की राज्य प्रमुख नफीसा बिंते शफीक ने कहा कि यह साझेदारी युवा महिला पुलिस अधिकारियों के नए कैडर पर निवेश बच्चों, किशोर-किशोरियों और महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के मुद्दों को पर्याप्त रूप से संबोधित करने में विशेष रूप से कारगर होगा। पीएसआई रैंक की 150 युवा महिला पुलिस अधिकारियों के साथ ट्रेनिंग की शुरूआत एक लिटमस टेस्ट जैसा है। इस पहले बैच से मिले फीडबैक और सुझावों के साथ हम आगे के बैचों के लिए ट्रेनिंग सत्र तैयार करेंगे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को संस्थागत बनाने की योजना के साथ साथ पुलिस के नियमित पाठ्यक्रम में भी इसे शामिल करने का प्रयास किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि ये युवा महिला पुलिसकर्मी अन्य महिलाओं और लड़कियों के लिए रोल मॉडल के रूप में काम करेंगी।
यूनिसेफ बिहार की बाल संरक्षण अधिकारी गार्गी साहा ने कहा कि बच्चों और महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध की रोकथाम का पहला जिम्मा पुलिस का होता है। बिहार जैसे 46% से ज्यादा युवा आबादी वाले राज्य में उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों और अतिपिछड़े इलाकों में काम करने के दौरान हमें बड़ी संख्या में किशोर लड़कियों का पुलिस बल में शामिल होने का रुझान देखने को मिला है, जो निश्चित तौर पर स्वागत योग्य बदलाव है।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और पॉक्सो एक्ट जैसे प्रमुख बाल संरक्षण कानूनों के तहत पुलिस की भूमिका पर सत्र लेते हुए सुश्री साहा ने इन कानूनों के तहत बच्चों से संबंधित मामले के निपटान की प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामुदायिक पुलिसिंग में पुलिस की भूमिका और विशेष रूप से यौन शोषण व उसके विभिन्न पहलुओं की समुचित रिपोर्टिंग से जुड़ी बाधाओं को दूर करने पर भी जोर दिया। केस स्टडी और व्यावहारिक उदाहरणों के जरिए बचाव, प्राथमिकी दर्ज करने, यौन शोषण की शिकार पीड़िता के बयान की रिकॉर्डिंग, मुआवजे का प्रावधान आदि से संबंधित तकनीकी पहलुओं के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गयी।
यूनिसेफ दिल्ली से आई रिसोर्स पर्सन, सुश्री माधुरी और अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बिमल रावल ने “लिंग और मानवाधिकार” पर सत्र लिया। अरविंद कुमार पांडे ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आशा जतायी कि यह साझेदारी बिहार में बच्चों और किशोरों के सर्वोत्तम हित को सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगी।

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