कोलकाता डॉक्टर रेप केस में 164 दिनों बाद फैसला, कोर्ट ने संजय रॉय को सुनाई उम्र कैद की सजा

कोलकता। कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में सियालदह कोर्ट ने 164 दिनों बाद फैसला सुनाया। कोर्ट ने दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा दी। न्यायाधीश अनिर्बान दास ने कहा कि यह मामला ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए दोषी को मौत की सजा नहीं दी गई। इसके बजाय, दोषी को जीवन भर जेल में रहने की सजा दी गई है। 8-9 अगस्त की रात को आरजीकर मेडिकल कॉलेज में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर का रेप और हत्या कर दी गई थी। यह घटना मेडिकल समुदाय को झकझोर देने वाली थी। अपराध के बाद, 10 अगस्त को पुलिस ने संजय रॉय को गिरफ्तार किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए, इसे तेज गति से निपटाने का निर्णय लिया गया। 18 जनवरी को कोर्ट ने संजय रॉय को दोषी करार दिया था। इसके बाद, 164 दिनों तक मामले की सुनवाई चली। कोर्ट ने दोषी को बोलने का मौका भी दिया, लेकिन संजय अपनी सफाई में कुछ भी ठोस नहीं कह सका। 160 पन्नों के विस्तृत फैसले में, कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत संजय को दोषी ठहराया। कोर्ट ने संजय को दोषी ठहराते हुए इन धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह भी स्पष्ट किया गया कि संजय को मृत्यु तक जेल में रहना होगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। हालांकि, पीड़ित परिवार ने इस मुआवजे को लेने से इनकार कर दिया। परिवार का कहना है कि उनकी बेटी को न्याय दिलाना प्राथमिकता है, न कि मुआवजा। यह मामला न्याय व्यवस्था में विश्वास को मजबूत करता है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए फैसला सुनाया। हालांकि, इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ की श्रेणी में न रखते हुए फांसी की सजा नहीं दी गई। फैसले ने यह संदेश दिया कि ऐसे मामलों में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी, ताकि समाज में डर का माहौल बने और ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। यह घटना केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी है। महिलाओं की सुरक्षा, खासकर कार्यस्थलों पर, सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। न्यायालय ने अपना काम किया, लेकिन अब समाज को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

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