पवन सिंह से मुकाबला पर उपेंद्र कुशवाहा की प्रतिक्रिया, बोले- हम साइंस के विद्यार्थी, कॉमर्स के सवाल का जवाब नहीं दे सकते

पटना। बंगाल के आसनसोल से भारतीय जनता पार्टी का टिकट लौटने वाले भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार अभिनेता एवं गायक पवन सिंह ने बुधवार को बिहार की राजनीति, खासकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बेड़े में खलबली मचा दी। अभिनेता पवन सिंह ने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। पवन सिंह के चुनाव लड़ने के एलान के बाद एनडीए से काराकाट लोकसभा के प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राष्ट्रीय लोक मोर्चा के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। पवन सिंह की इस घोषणा के समय कुशवाहा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ गया में मंच पर थे। बुधवार रात रोहतास लौटे तो मीडिया से बात की, लेकिन पवन सिंह के सवाल को ही विषय से बाहर बता दिया। पवन सिंह के एलान के बाद काराकाट लोकसभा सहित बिहार की राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में इंडिया गठबंधन से माले के प्रत्याशी राजाराम सिंह उम्मीदवार हैं। उपेंद्र कुशवाहा की सीधी टक्कर राजाराम सिंह से मानी जा रही है। लेकिन, पवन सिंह के काराकाट से चुनाव लड़ने के एलान के बाद यह लड़ाई अब त्रिकोणीय होती दिख रही है। ऐसे में पवन सिंह के चुनाव लड़ने के एलान पर उपेंद्र कुशवाहा से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि साइंस के स्टूडेंट से कॉमर्स का सवाल पूछ रहे हैं! इस प्रकरण पर उपेंद्र कुशवाहा गोल मटोल जवाब देकर सवाल से बचते दिखे। जितनी बार भी यह सवाल पूछा गया, एक ही जवाब दिया। वैसे, भले ही उपेंद्र कुशवाहा इस सवाल पर गोलमोल जवाब देकर बच रहे हों लेकिन काराकाट लोकसभा से अभिनेता पवन सिंह यदि निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो इसका सबसे बड़ा नुकसान उपेंद्र कुशवाहा को ही होने की आशंका है। पवन सिंह के काराकाट लोकसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने के एलान के बाद काराकाट में लड़ाई दिलचस्प हो गई है। रोहतास जिले के डेहरी के बारह पत्थर स्थित सार्वजनिक अतिथिशाला में मारवाड़ी समाज, एनडीए एवं शहर के बुद्धिजीवियों के साथ बैठक आयोजित की गई थी। इसमें पूर्व मंत्री एवं काराकाट लोकसभा के एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा का मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष पवन झुनझुनवाला एवं उनके सहयोगियों के द्वारा भव्य स्वागत किया गया। इसके साथ ही आने वाले लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को समर्थन देते हुए विजयी बनाने का एलान भी किया गया।
पवन सिंह की ओर से घोषणा के बाद हलचल तेज
उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए की ओर से एक सीट काराकाट दी गई है। पिछले तीन बार से यहां कुशवाहा जाति ने नेता ही सांसद बने हैं। इस सीट पर अब तक तीन बार ही लोकसभा का चुनाव हुआ है। अब यहां से पवन सिंह उतरने वाले हैं जिसको लेकर हलचल तेज हो गई है। कुशवाहा समाज नाराज है। वीआईपी की नेता सीमा कुशवाहा ने कहा है कि बीजेपी की चाल है इसलिए पवन सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए काराकाट भेजा है। बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा को खत्म करना चाहती है। पवन सिंह की घोषणा के बाद अब काराकाट लोकसभा सीट भी दिलचस्प हो गया है। एक तरफ एनडीए से उपेंद्र कुशवाहा हैं तो दूसरी ओर महागठबंधन से माले के राजाराम सिंह मैदान में हैं। अब पवन सिंह भी उतर रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है।
दोनों गठबंधनों से मैदान में कुशवाहा उम्मीदवार
एनडीए की ओर से आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा मैदान में हैं। इंडिया ब्लॉक की बात करें तो यहां से सीपीआई (एमएल) ने राजा राम सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। एनडीए और इंडिया, दोनों ही गठबंधनों से कुशवाहा जाति के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। कुशवाहा समाज के दो उम्मीदवारों की लड़ाई में सवर्ण और गैर कोइरी ओबीसी के साथ ही दलित और महादलित वोटर्स की भूमिका निर्णायक हो गई है। अब राजपूत उम्मीदवार की एंट्री से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
पवन के लिए भी आसान नहीं चुनावी राह
सियासत और सितारों का पुराना नाता रहा है। भोजपुरी जगत के मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव निरहुआ, रवि किशन जैसे सितारे संसद में हैं लेकिन पवन के मामले में हालात अलग हैं। इन तीनों सितारों ने चुनावी जंग जीती तो बीजेपी का सिंबल था, कैडर था। मनोज तिवारी सपा, रवि किशन को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर हार का भी सामना करना पड़ा था। यह नतीजे बताते हैं कि चुनावी जंग जीतने के लिए केवल ग्लैमर नहीं, मजबूत कैडर भी जरूरी है और अपने गृह क्षेत्र से करीब सौ किलोमीटर दूर जाकर कैडर जुटाना आसान नहीं होगा।

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